23 साल बाद डॉ. आंबेडकर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी फॉर हैंडीकैप्ड का बदला जाएगा नाम, मिलेंगी ये सुविधाएं
बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की बैठक में नाम बदलने को लेकर लगी मुहर ल।डॉ. आंबेडकर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी फॉर दिव्यांग नया नाम। किन नतीजा सिफर साबित हुआ। पिछले सप्ताह हुई बाेर्ड आफ गवर्नर्स की बैठक में नाम पर विचार विमर्श हुआ।
कानपुर, जागरण स्पेशल। अवधपुरी स्थित डॉ. आंबेडकर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी फॉर हैंडीकैप्ड का नाम 23 साल बाद बदल जाएगा। कुछ दिनों पहले हुई बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की बैठक में इस पर फैसला हो गया है। अब नया नाम डॉ. आंबेडकर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी फॉर दिव्यांग हो जाएगा। संस्थान में सुविधाएं बढ़ाने की तैयारी की जा रही। यहां अटल बिहारी वाजपेई रिसर्च सेंटर स्थापित होगा, जबकि छात्राओं के लिए 100 कमरों की क्षमता का हॉस्टल निर्मित किया जाएगा। शासन की ओर से संस्थान के नाम पर बजट जारी हो गया है।
1997 में उत्तर प्रदेश सरकार ने विश्व बैंक के सहयोग से तकनीकी शिक्षण संस्थान का निर्माण कराया। यहां दिव्यांग छात्रों के साथ ही अन्य छात्रों की पढ़ाई शुरू हो गई। यह सब चलता रहा, बीच में नाम बदलने पर चर्चा हुई, लेकिन नतीजा सिफर साबित हुआ। पिछले सप्ताह हुई बाेर्ड आफ गवर्नर्स की बैठक में नाम पर विचार विमर्श हुआ, जिसमें सभी ने नाम बदलने के फैसले पर मुहर लगा दी।
इनका है कहना
निदेशक प्रो. रचना अस्थाना ने बताया कि मौजूदा नाम में हैंडीकैप्ड लगा है, जिससे सम्मान की भावना कम हो रही है। दिव्यांग शब्द लगाने से किसी तरह की कोई खामी नहीं होगी और किसी की भावनाओं को ठेक नहीं पहुंचेगी।
स्ववित्त पोषित बनेगा रिसर्च सेंटर
संस्थान परिसर में बनने वाले रिसर्च सेंटर स्ववित्त पोषित रहेगा। इसके निर्माण के लिए एक करोड़ 10 लाख रुपये का बजट मिला है। इसमें शोध के साथ ही विशेषज्ञ व स्टाफ के लिए आय के स्रोत बढ़ सकेंगे। विभिन्न कंपनियों के लिए टेस्टिंग लैब की तरह से काम करेगा।
छात्राओं की समस्या होगी दूर
मौजूदा समय में एक कमरे में तीन छात्रों की रुकने की व्यवस्था रही है। अब छात्राओं के लिए 100 बेड का हॉस्टल बनाया जाएगा। यह मल्टी स्टोरी रहेगा, जिससे भविष्य की जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा। ऊपर की ओर कई अन्य तैयार हो सकेंगे।