दहेज लोभियों के घरों में न करें बेटियों की शादी, इस्लाम में खुदकुशी हराम
जश्न-ए- गरीब नवाज जलसे में कहा गया कि इस्लाम में खुदकुशी हराम है। दहेज की मांग करने वालों के घरों में अपनी बेटियों की शादी न करें। घर पर आने वाली बहू भी किसी की बेटी है उसका उत्पीडऩ न करें।
कानपुर, जेएनएन। कांशीराम कालोनी में आयोजित जश्न ए गरीब नवाज के जलसे को संबोधित करते हुए मौलाना हाशिम अशरफी ने कहा कि इस्लाम में खुदकुशी हराम है। उन्होंने कहा कि दहेज की मांग करने वालों के घरों में अपनी बेटियों की शादी न करें। घर पर आने वाली बहू भी किसी की बेटी है, उसका उत्पीड़न न करें।
मौलाना महताब आलम मिस्बाही ने ख्वाजा गरीब नवाज की शान बयान की। उन्होंने ख्वाजा गरीब नवाज की शिक्षाओं पर अमल करने की अपील की। जलसे में खुर्शीद आलम, कारी मोहम्मद अहमद, मौलाना महमूद, हसन अख्तर, मौलाना कासिम, हाफिज मोहम्मद अरशद, वाहिद अंसारी, अलतमश आदि मौजूद रहे।
वहीं दूसरी तरफ हजरत शाहिद ए मिल्लत के उर्स जाजमऊ में मनाया गया। इस दौरान नातिया मुशायरा भी हुआ। शायरों ने अपने कलाम पेश कर लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया।
सय्यद अतहर कादरी ने रुक गए हजरत जिब्रील अमीन सिदरा पर, फर्श ता अर्श गए मेरे नबी रात की रात सुनाकर खूब तारीफ पाई। कलीम दानिश कानपुरी ने कांप जाता है मेरा दिल ए जमीन ए कर्बल, कैसे गुजरी तेरी आगोश में सादात की रात सुनाकर कर्बला का मंजर बयां किया। नातिया कलाम के बाद उर्स की रस्में अदा की गई। कुल के बाद मुल्क में खुशहाली, कोरोना से निजात की दुआ कराई गई। उर्स में मुफ्ती हसीब अख्तर शाहिदी, मौलाना गुलाम कादिर शाहिदी, शहरकाजी मौलाना मुश्ताक अहमद मुशाहिदी, मुफ्ती सय्यद अकमल अशरफी, मुफ्ती हनीफ बरकाती, मुफ्ती अशरफ आदि मौजूद रहे।