तस्करी के सोने से गढ़ेंगे दीपावली के गहने
नए-नए डिजाइन के जेवरों के निर्माण के लिए सोने की बढ़ी मांग
जागरण संवाददाता, कानपुर : दीपावली के त्योहार और उसके बाद की सहालग के लिए सराफा बाजार अभी से रफ्तार पकड़ चुका है। नए-नए डिजाइन के जेवरों के निर्माण के लिए सोने की मांग बढ़ गई है इसलिए तस्करी के सोने की आवक भी 50 फीसद तक बढ़ गई है। तस्कर रास्ते बदल-बदलकर माल ला रहे हैं। इन्हें दबोचने को कस्टम ने अपना संजाल घना कर दिया है। अधिकारियों के मुताबिक जहां भी तस्करी का ज्यादा माल लाया जाता है, वहां उनके अधिकारी लगे हैं।
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इसलिए बढ़ी तस्करी
गुरुवार को बाजार में सोने की कीमत 31.43 लाख रुपये प्रतिकिलो थी। सराफा कारोबारी 10.3 फीसद कस्टम ड्यूटी और तीन फीसद जीएसटी चुकाकर सोना लेते हैं। इससे एक किलो सोने पर अंतर 3.69 लाख रुपये का हो जाता है। इतने बड़े अंतर की वजह से ही तस्कर खतरा उठाते हैं।
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25 फीसद सोना तस्करी का
बाजार में जितने सोने की खपत होती है, उसका 25 फीसद सोना तस्करी का होता है। जो कारोबारी तस्करी के सोने के जेवर बनाते हैं, उनके जेवर दूसरों के मुकाबले सस्ते होते हैं।
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बांग्लादेश से होती आवक
बांग्लादेश के रास्ते कोलकाता होते हुए तस्करी का सोना आता है। चंदौली में कई बार सोना पकड़ा जा चुका है।
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अब तक हुई धरपकड़
-30 जनवरी 2018 को कानपुर आ रहा 13 किलो सोना चंदौली में पकड़ा गया।
- 12 मई 2018 को कानपुर आ रहा 5.2 किलो सोना चंदौली में पकड़ा गया।
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एक हजार रुपये किलो कमीशन
जो करियर माल लाता है, वह यहां पहले से तय नंबर पर फोन कर सोना लेने वाले को बुलाता है। वह व्यक्ति माल दुकानदारों तक पहुंचाता है। उसे एक हजार रुपये कमीशन मिलता है।
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''तस्करी का सोना शहर में आता है लेकिन कितना आता है, यह बताना मुश्किल है। इससे जो सही काम कर रहे हैं, उन्हें नुकसान हो रहा है।
- कैलाश अग्रवाल, मुख्य संयोजक, उत्तर प्रदेश सराफा एसोसिएशन।
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''जेवर बनाने के लिए सोने की मांग बढ़ गई है। इससे तस्करी का सोना 50 फीसद तक ज्यादा आ रहा है। इस पर रोक लगनी चाहिए।
- रामकिशोर मिश्रा, मंत्री, यूपी सराफा एसोसिएशन।