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गिनीज बुक में दर्ज हुए दिव्यांग अक्षय, साइकिल से चार दिन में ही तय किया 450 किमी का सफर Kanpur News

नौ साल पहले ट्रेन से कट गया था पैर खेल दिवस के दिन शहरवासियों को दिया तोहफा।

By AbhishekEdited By: Published: Fri, 30 Aug 2019 11:19 AM (IST)Updated: Sat, 31 Aug 2019 09:45 AM (IST)
गिनीज बुक में दर्ज हुए दिव्यांग अक्षय, साइकिल से चार दिन में ही तय किया 450 किमी का सफर Kanpur News
गिनीज बुक में दर्ज हुए दिव्यांग अक्षय, साइकिल से चार दिन में ही तय किया 450 किमी का सफर Kanpur News

कानपुर, जेएनएन। रेल हादसे में अपना पैर गंवाने वाले शहर के दिव्यांग अक्षय सिंह ने कानपुर से दिल्ली तक 450 किलोमीटर का सफर साइकिल से चार दिन में तय करके अपना नाम गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में दर्ज करा लिया है। गुरुवार को इस दिव्यांग खिलाड़ी ने सफलता की नई इबारत लिखी। उन्होंने राष्ट्रीय खेल दिवस के दिन ही यह रिकॉर्ड हासिल कर शहरवासियों को तोहफा दिया।

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गांधी ग्राम रामादेवी के रहने वाले अक्षय सिंह का 2010 में ट्रेन दुर्घटना में दायां पैर कट गया था। इस दौरान मां कुसुम सिंह ने पूरे परिवार की जिम्मेदारी बखूबी निभाई। गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड के लिए अक्षय ने 25 अगस्त को जेके मंदिर से अपने सफर की शुरुआत की थी। उन्हें सात दिनों में 450 किलोमीटर की साइकिलिंग करनी थी, जिसें उन्होंने महज चार दिनों में पूरा करके रिकार्ड बनाया।

दिव्यांगता को दी नई परिभाषा

अक्षय ने बताया कि उनका सामाजिक कार्याें के प्रति विशेष झुकाव है। वे आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को शिक्षित भी करते हैं और उन्हें निजी विद्यालयों में आरक्षित सीटों पर दाखिला दिलवाते हैं। इसके लिए उन्होंने 'आई टीच' नाम से फेसबुक अकाउंट भी बनाया है। अक्षय गरीबों के लिए फूड बैंक खोलने का इरादा रखते हैं।

प्रयागराज जाते समय कटा था पैर

अक्षय ने बताया कि वर्ष 2010 में अपनी बड़ी बहन रितिका ङ्क्षसह की मार्कशीट को ठीक कराने के लिए ट्रेन से प्रयागराज जा रहे थे। अस्सराय स्टेशन के पास धक्का लगने के दौरान गिरने से उनका पैर कट गया था।

अलग करने की चाह ने बनाया साइकिल राइडर

अक्षय ने बताया कि वह समाज में अपनी एक अलग पहचान बनाना चाहते हैं। इसी जिद के साथ दो साल पहले प्रोफेशनल तरीके से साइकिलिंग शुरू की और कानपुर राइडर्स ग्रुप में शामिल हो गए। पहले छोटी-छोटी राइङ्क्षडग में शामिल होते थे। पहली बार लंबी दूरी राइङ्क्षडग पर निकले हैं।

विषम परिस्थितियों से जूझ बच्चों को बनाया काबिल

अक्षय अपनी उपलब्धि के लिए माता कुसुम सिंह  का विशेष योगदान मानते हैं। वर्ष 2003 पिता अनूप सिंह  का बीमारी के चलते निधन हो गया था। अपने परिवार में वह अकेले कमाने वाले थे। उनके जाने के बाद विषम परिस्थितियों से जूझना पड़ा था। कुसुम ने बताया कि कानपुर में गुरुद्वारों लंगर व मंदिर प्रसाद खाकर दिन गुजारे थे। बेटी रितिका की शादी के बाद स्थिति में सुधार आया। अब वह बेटी-दामाद के साथ रहती हैं।

माउंट एवरेस्ट फतेह करना है लक्ष्य

गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड बना चुके अक्षय की नजर अब माउंट एवरेस्ट फतेह करने पर है। वे पर्वतारोही अरुणिमा सिन्हा की तरह माउंट एवरेस्ट जीतना चाहते हैं।  


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