आनंदपुरी जैन मंदिर में मनाया गया दीक्षा महोत्सव, समाज हित में उत्कृष्ट कार्य करने वाले हुए सम्मानित
आपको बताते चलें कि शहर में 7 दिनों के प्रवास के लिए पहुंचे आचार्य प्रसन्न सागर महाराज जी 72 दिनों का मौन व्रत और लगभग 100000 किलोमीटर से ज्यादा पदयात्रा कर समाज को सद्भाव और संस्कार की सीख दे रहे हैं।
कानपुर, जेएनएन।
जागरण संवाददाता, कानपुर : मानव जीवन में सबसे बड़ी पूंजी उसके द्वारा हासिल किए गए अच्छे विचार व संस्कार हैं। जिस मनुष्य ने अपने जीवन में यह हासिल कर लिया, उसका जीवन सार्थक पथ की ओर अग्रसर हो जाता है। यह बातें रविवार को आनंदपुरी जैन मंदिर में आचार्य प्रसन्न सागर महाराज ने आचार्य पुष्पदंत सागर महाराज के 41 वें दीक्षा समारोह के दौरान कहीं। दीक्षा महोत्सव में आचार्य श्री ने अनुयायियों को शांतिधारा पूजन व अभिषेक कराकर आचार्य पुष्पदंत सागर महाराज की दीक्षा का ज्ञान दिया। उन्होंने कहा कि ङ्क्षजदगी में सबकुछ हो पर अगर संयम न हो, दीक्षा व शिक्षा न हो तो ऐसा जीवन बेकार है। जिस प्रकार गाड़ी में सबकुछ हो परंतु ब्रेक न हो तो गाड़ी बेकार है। गुरु महाराज ने कहा कि दीक्षा से पहले मानव के चार रिश्तेदार होते हैं और दीक्षा के बाद 83 लाख योनियों के जीव हमारे रिश्तेदार बन जाते हैं। आधुनिक युग में संस्कार व दूसरों के प्रति दया का भाव रखने की छोटी सी प्रतिज्ञा और संकल्प जिदंगी को संवार देती है। अनुयायी अनूप जैन ने बताया कि सोमवार को मातृ वंदना उत्सव आचार्य श्री द्वारा किया जाएगा। इस अवसर पर डॉ. अनूप जैन, महेंद्र कटारिया, प्रदीप, संजीव जैन, अनिल जैन, सौरभ जैन, त्रिभुवन जैन आदि उपस्थित रहे।