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अफसरशाही की हीलाहवाली से औद्योगिक नगरी पर संकट

जनपद को उद्योग का हब बनाने का वादा अफसरशाही की हीलाहवाली के चलते टूटता जा रहा है।

By Edited By: Published: Tue, 26 Mar 2019 01:28 AM (IST)Updated: Tue, 26 Mar 2019 10:31 AM (IST)
अफसरशाही की हीलाहवाली से औद्योगिक नगरी पर संकट
अफसरशाही की हीलाहवाली से औद्योगिक नगरी पर संकट
कानपुर, जेएनएन। उद्योगों से ही शहर, प्रदेश और देश का विकास संभव है। उद्यमियों को रिझाने के लिए सरकार ने सभी सुविधाओं का वादा किया, लेकिन कानपुर देहात को उद्योग का हब बनाने का वादा अफसरशाही की हीलाहवाली के चलते टूटता जा रहा है। औद्योगिक क्षेत्र रनियां में इस समय चार सौ व जैनपुर में दो सौ उद्योग स्थापित हैं।
कानपुर देहात जिले को उद्योग का हब बनाने के लिए इनवेस्टर्स मीट में 25 उद्यमियों ने पैके¨जग, सरिया, टूल्स, फूड, होजरी, हास्पिटल, टेक्सटाइल, मिल्क पाउडर आदि उद्योगों में 1682.5 करोड़ रुपये निवेश की सहमति जताकर हस्ताक्षर किए थे। इससे चार हजार से अधिक बेरोजगारों को रोजगार देने का लक्ष्य बनाया गया था, लेकिन पर्याप्त सुविधाएं न मिलने से उद्यमियों का मोहभंग हो रहा है और वे निवेश से हाथ खींच रहे हैं। अफसरों की रुचि न लेने पर अब तक पांच उद्यमियों ने करीब 63 करोड़ रुपये का निवेश करने से हाथ पीछे खींच लिए हैं। इससे जिले को उद्यम का हब बनाने की कवायद को झटका लगा है। अधिकारी अपनी खामियों को छिपाकर उद्यम स्थापित न होने के पीछे उद्यमियों के व्यक्तिगत कारण बताकर पल्ला झाड़ने में जुटे हैं।
इन्होंने किया था निवेश का वादा
कंपनी                निवेश  रोजगार लक्ष्य
आदित्या फ्लेक्सिबल 25      500
केपीजे डिस्ट्रीब्यूटर्स  10      10
सागर केमिकल        1          5
स्पर्श इंडस्ट्रीज        600      500
सनराइज फोम प्रोडक्स 30    150
आरवीबी शोरलूब्स      10     200
आइएमपी इंजीनिय¨रग  5     100
केएन ग्रीन फ्यूल           2      18
एचएल एग्रो             300      100
कानपुर एडिबल्स     200       200
कानपुर प्लास्टीपैक   200     500
पेपर पोलिम           100       500
फ्रंटियर स्प्रिंग         60        150
सेल्जर इनोवाक्स     22        150
मंटोरा आयल          20        60
मधुकर फ्लोर मिल   20       105
केएन फूड इंडिया    3.5      18
श्रीशती इंडस्ट्रीज       2        10
जिएलकेके इंडस्ट्रीज  25      100
जेएस वायरेन टैक्स    10        50
टायल होजरी मिल     10        30
जय आनंदेश्वर इंडस्ट्रीज 1.5    15
वितांता हास्पिटल         15     150
प्रवीण कुमार सुराना       8       50
केएन बायो-मास          2.5      18
नोट : निवेश की रकम (करोड़ रुपये में है)
इन्होंने उद्योग लगाने से खींचे हाथ
-इंवेस्टर्स मीट में उद्योग लगाने का वादा करने के बावजूद सनराइज फोम प्रोडक्स, आइएमपी इंजीनिय¨रग एंड पावर, जेएस वायरेन टैक्स, टायल होजरी मिल व प्रवीण कुमार सुराना ने 63 करोड़ रुपये का निवेश करने से मना कर दिया है।
उद्योग के लिए नहीं दे पा रहे भूमि
शासन से लेकर जिले में हर माह होने वाली उद्योग बंधु की बैठकों में उद्यमियों को पर्याप्त सुविधाएं व मदद दिलाने की वकालत की जाती है। इसके बावजूद उद्यमी निवेश करने से किनारा कर रहे हैं। जिले में हजारों करोड़ रुपये के निवेश का मौका होने के बावजूद उद्यम स्थापित न होने के पीछे बड़ा कारण अफसरशाही की सुस्त चाल भी है। एक उद्यमी ने उद्यम स्थापित करने के लिए 2000 वर्गमीटर की भूमि मांगी, लेकिन कई महीनों की कछुआ चाल के बाद भी कोई हल नहीं निकल सका। इसके चलते अभी तक उद्यम स्थापित नहीं हो पा रहे हैं। 
उद्योग बंधु की बैठक महज खानापूर्ति
उद्यमियों की समस्याओं का निराकरण करने के लिए प्रतिमाह होने वाली उद्योग बंधु की बैठकें भी महज खानापूर्ति बनकर रह गई हैं। डीएम की सख्ती के बावजूद अधिकांश अफसर नदारद ही रहते हैं। उद्यमियों के जोनल चेयरमैन हरदीप ¨सह राखरा बताते हैं कि बैठकों में अक्सर टोल, एनएचएआइ आदि के अधिकारी नहीं आते हैं। इससे उनकी समस्याओं का निराकरण नहीं हो पाता।
अधिकारी नोटिस जारी कर बैठकों का कागजी कोरम पूरा करते हैं और समस्या जस की तस रहती है। उद्यमी कानपुर नगर में तथा उद्योग देहात में स्थापित हैं। ऐसे में बारा टोल प्लाजा से उद्यम के दर्जनों वाहनों का आवागमन होता है, लेकिन टोल परिधि के 20 किलोमीटर दायरे का प्रतिबंध होने से उन्हें हजारों रुपये टोल टैक्स के रूप में चुकाने पड़ते हैं जबकि करोड़ों रुपये का उद्यम स्थापित होने के बावजूद उन्हें टोल में छूट नहीं है। उद्यम लगाने से पूर्व सबसे बड़ी समस्या फायर एनओसी की होती है। अग्निशमन अधिकारी उद्यमियों को दर्जनों चक्कर लगवाकर प्रताड़ित करते हैं।
-बैंकों द्वारा अत्यधिक शुल्क की मांग, एनओसी और अनुमति देने वाली एजेंसियां मनमानी करती हैं। विद्युत ऊर्जा की आपूर्ति में ट्रि¨पग की समस्या है। बिजली की दरें भी बहुत उच्च हैं, बिजली बोर्ड की ओर से अत्यधिक सुरक्षा राशि की मांग की जाती है। औद्योगिक संपदा और क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे की कमी है। यूपीएसआइडीसी द्वारा उच्च रखरखाव शुल्क लिया जाता है, सरकारी योजनाएं सरकारी अधिकारियों की सही मानसिकता न होने के कारण औद्योगिक इकाइयों तक नहीं पहुंचतीं, उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए उनकी सोच सही नहीं है। उद्योग को संचालित करने वाले कानून और नियम ही उद्योग में बाधा हैं। - आलोक जैन, चेयरमैन, आइआइए
-पांच उद्यमी इंवेस्टर्स मीट में हस्ताक्षर के बावजूद व्यक्तिगत कारणों के चलते निवेश करने से पीछे हटे हैं। संभावना है कि उन्हें पर्याप्त बाजार नहीं मिल रहा था। -प्रिया सिंह, उपायुक्त उद्योग।
-उद्यम स्थापित करने में आ रही दिक्कतों के बाबत उद्यमी सीधे मिलकर समाधान करा सकते हैं। पर्याप्त संसाधन उपलब्ध न कराने में लापरवाही के बाबत छानबीन कराकर कार्रवाई की जाएगी। - जोगिन्दर सिंह, मुख्य विकास अधिकारी

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