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दिव्यांगों में इस तरह भरा हौसला कि बन गए दूसरों का सहारा

कई वर्षो से डा. राजितराम चला रहे मुहिम, दिव्यांगों को प्रशिक्षण दिलाकर मुहैया कराते रोजगार।

By Edited By: Published: Sun, 18 Nov 2018 01:37 AM (IST)Updated: Sun, 18 Nov 2018 04:50 PM (IST)
दिव्यांगों में इस तरह भरा हौसला कि बन गए दूसरों का सहारा
दिव्यांगों में इस तरह भरा हौसला कि बन गए दूसरों का सहारा
कानपुर (जागरण स्पेशल)। हर एक दिव्यांग ठीक उसी तरह काम कर सकता है, जैसे कोई सामान्य व्यक्ति करता है। बस जरूरत है तो उसमें हौसला पैदा करने की। दिव्यांगों के लिए यह काम गोपालनगर निवासी डा. राजितराम मिश्रा कई वर्षो से कर रहे हैं। वर्ष 1995 में दृगश्रम संस्था की स्थापना कर दिव्यांगों को प्रशिक्षण के जरिए हुनर का सहारा देना शुरू किया। इसके बाद दिव्यांग रोजगार कर अपने पैरों पर खड़े होने लगे।
डा. राजितराम ने अपनी इस मुहिम को ही जिंदगी का लक्ष्य बना लिया है। वह कहते हैं, जब किसी दिव्यांग को काम करते देखता हूं तो दिल को बहुत खुशी होती है। डॉ. राजितराम अपनी संस्था के संस्थापक अध्यक्ष होने के साथ ही कई अन्य संस्थाओं से भी जुड़कर दिव्यांगों की सहायता करते हैं। वह दृगश्रम संस्था से दिव्यांगों को जोड़कर उन्हें कंप्यूटर टाइपिंग समेत कई अन्य कार्यो का प्रशिक्षण दिलाकर रोजगार मुहैया कराते हैं। वर्ष 2012 में सेवानिवृत्त होने के बाद से वह अपना अधिकांश समय संस्था के कार्यो में ही देते हैं। वह बताते हैं कि दिव्यांगों की मदद के लिए वह जल्द ही कई नए प्रोजेक्ट पर काम शुरू करने वाले हैं।
उपराष्ट्रपति ने किया पुरस्कृत
दिव्यांगों के मदद में अधिक से अधिक काम करने के लिए डॉ. राजितराम को वर्ष 2001 में उपराष्ट्रपति कृष्णकांत ने राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार से पुरस्कृत किया था। डॉ. राजितराम कहते हैं कि उन्होंने श्रम मंत्रालय के अधीन विभाग में नौकरी की, सूबे के अधिकांश पूर्वी जिलों में दिव्यांगों को उस समय ट्राइसाइकिल मुहैया कराई, जब यह आसानी से उपलब्ध नहीं होती थी।

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