दद्दा राम- राम, प्रधानी का चुनाव लड़ रहे हैं एक बार मौका दे दो, खूब विकास करेंगे
हम अपने वोट से ओहीका जितैबे जो सबसे अच्छा होइ। रेखा ने कहा जो गांव का विकास करै और सबका भला करी ओही का वोट दे अइबे। इसके बाद हम वहां से आगे बढ़े और कस्बा सरसौल में एक दुकान के बाहर बैठे लोगों की बातें सुनने लगे।
कानपुर (शैलेंद्र त्रिपाठी)। दद्दा राम- राम, प्रधानी का चुनाव लड़ रहे हैं एक बार मौका दे दो, खूब विकास करेंगे। सरसौल बाजार में सब्जी बेच रहे मुन्नर यादव से यह मनुहार गांव के एक प्रत्याशी ने की। मुन्नर शांत रहे तो उम्मीदवार ने कहा-दद्दा नाराज हो का, अरे एक बार हाथ उठाकर आशीर्वाद तो दे दो। तब मुन्नर ने कहा, नाराज नहीं हूं, धूप ज्यादा है। ङ्क्षचता न करो, वोट तुमही का मिली। इसके बाद प्रत्याशी आगे बढ़ गया। हम भी चुनावी माहौल देखने बाइक से निकले थे। वहां से आगे बढ़े तो कई जगहों पर चुनाव की चर्चा होते मिली। सरसौल ग्राम पंचायत की आबादी 14 हजार से ज्यादा है। यहां 14 मजरे हैं। प्रधान पद के उम्मीदवार देर रात तक हर चौखट पर मत्था टेक रहे हैं। गांव के माधव नगर मजरे से जब हम आगे बढ़े तो वहां पेड़ की छांव में कई मजदूर महिलाएं आराम कर रही थीं। पसीने से तर इन महिलाओं के बीच चर्चा चुनाव को लेकर ही थी, क्योंकि थोड़ी देर पहले ही एक उम्मीदवार उनसे वोट की गुहार लगाकर गया था।
चुनाव में किसको वोट देंगी के सवाल पर ऊषा बोलीं जो हमरे गांव का विकास करी, वोट हम ओही का देबे। ऊषा की बात को आगे बढ़ाते हुए सीमा बोलीं, जिज्जी गांव म न सड़क है न नाली। जो सड़क और नाली बनवावन का वादा करी हम वोट ओही का देबे। सरला कहने लगीं ओरी हमरिहू सुनिहौ कुछ। इतने ज्यादा चुनाव लड़ैं वाले हैं कि हमका तो न कउनो का नाम याद है न ही चेहरा। पीछे से सरजू बोलीं, करैं क तो हम पंचन का मजदूरी ही है। जउन ठीक लागी ओहीका वोट दे अइबे।
इसी बीच संतोषी बोलीं, हम अपने वोट से ओहीका जितैबे जो सबसे अच्छा होइ। रेखा ने कहा जो गांव का विकास करै और सबका भला करी ओही का वोट दे अइबे। इसके बाद हम वहां से आगे बढ़े और कस्बा सरसौल में एक दुकान के बाहर बैठे लोगों की बातें सुनने लगे। नंदू कुशवाहा बोले, प्रधान बनने के लिए नाकों चना चबाना पड़ेगा। सोनू शुक्ला, रानू ने उनकी हां में हां मिला दी। बबलू, भानुप्रताप सिंह परिहार ने भी कहा कि जो अच्छा काम करेगा वोट उसे ही देंगे। मजरा किशन नगर पहुंचेे तो पता चला कि गांव में न तो बिजली के खंभे हैं न तार, लेकिन घरों में मीटर लगा दिए गए। बंद मीटरों से हजारों के बिल जारी कर दिए। अंसार ने बताया कि चालीस घरों में एक हैंडपंप लगा है। पानी के लिए मारपीट तक हो जाती है। वहीं बैठीं जैतून ने कहा कि विधवा पेंशन के लिए भटक रही हूं। इस बार वोट सोच समझकर ही दूंगी। जखीलन और अंगूरी का दर्द भी यही था।