CSJMU Convocation में राज्यपाल ने समझाया विद्या का महत्व, बोलीं- केवल डिग्री लेना शिक्षा नहीं
CSJMU Convocation 2021 राज्यपाल ने कहा आजकल के बच्चे पहले के बच्चों से बहुत आगे हैं। ऐसे में लैपटॉप कंप्यूटर और मोबाइल उनके लिए वरदान सिद्ध हो रहे हैं। वह अपने पेरेंट्स तक को तकनीकी जानकारी उपलब्ध कराने की क्षमता रखते हैं।
कानपुर, जेएनएन। CSJMU Convocation 2021 विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं का ध्यान अब केवल उनके विषय तक ही सीमित नहीं रहेगा। उन्हें देश की संस्कृति, सभ्यता परंपराओं व सबसे महत्वपूर्ण आजादी की घटनाओं से भी रूबरू कराया जाएगा। छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय समेत प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में आजादी की उन सभी 75 घटनाओं का रिकॉर्ड होगा जो यह बताएगा कि देश के अमर शहीदों ने आजादी दिलाने के लिए कितना बलिदान किया। विश्वविद्यालयों में उन विशेष व्यक्तियों का ब्यौरा भी होगा जिन्हें पद्म श्री, पद्म भूषण, पद्म विभूषण और भारत रत्न जैसे खिताबों से नवाजा गया है। यह बातें छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के 35वें दीक्षा समारोह में यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहीं।
राज्यपाल ने समझाया वास्तविक शिक्षा का आशय: राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि शिक्षा प्राप्त करना एक साधना होती है। केवल डिग्री प्राप्त करना शिक्षा नहीं है। समाज को हमने क्या दिया और क्या दे सकते हैं, अगर हम यह समझ गए तब जाकर कहीं ये कहा जा सकता है कि हमने वास्तविक शिक्षा प्राप्त कर ली है। कला व कौशल की कोई उम्र नहीं होती है। शारीरिक शिक्षा में पीएचडी करने वाले 83 वर्षीय रवि चतुर्वेदी का उदाहरण देते हुए राज्यपाल बोलीं युवाओं को इनसे सीख लेनी चाहिए कि वह किसी भी उम्र में पढ़ाई कर सकते हैं। डिग्री मिलना तो शुरुआत है, अभी कई कदम आगे बढ़ने हैं।
यह भी पढ़ें: CSJMU Convocation में डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने कहा, कानपुर यूनिवर्सिटी से छात्र कर सकेंगे पार्ट टाइम पीएचडी
जरूरतमंद बच्चों की शिक्षा का उठाएं बीड़ा: राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि विश्वविद्यालय व कॉलेजों को एक जिम्मेदारी उन बच्चों के प्रति भी निभानी होगी जो जरूरतमंद हैं। ऐसे बच्चों को वह स्कूल और कॉलेज में डालकर अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह कर सकते हैं। डिग्री कॉलेजों को चाहिए कि वह 11 कॉलेज गोद लें। प्रदेश में 50 से 60 हजार डिग्री कॉलेज हैं। अगर प्रत्येक कॉलेज एक-एक गांव गोद ले ले तो न केवल बच्चों की शिक्षा को नई उड़ान मिलेगी बल्कि वह रोजगार की दिशा में भी बढ़ सकेंगे। प्रदेश के तकनीकी कॉलेज आंगनबाड़ियों को गोद लेने में आगे आए हैं जिससे उनका कायाकल्प होना शुरू हो गया है। प्रदेश में 13 आंगनबाड़ी संस्थाओं को गोद लिया गया है। अब वहां पर बच्चे जमीन पर नहीं बल्कि कुर्सी और मेज में पढ़ते हैं। उनके लिए श्यामपट्ट नहीं बल्कि अच्छे बोर्ड हैं।
पाठ्यक्रम में बदलाव की है जरूरत: राज्यपाल आनंदीबेन ने अपने संबोधन में कहा कि पाठ्यक्रम में बड़े पैमाने पर बदलाव किए जा रहे हैं। इसमें 70 फीसद पाठ्यक्रम केंद्र सरकार और 30 फीसद पाठ्यक्रम राज्य सरकार डिजाइन करेगी। इससे सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि पाठ्यक्रमों में जो डुप्लीकेसी हो रही है वह नहीं होगी। पाठ्यक्रम जब नया होगा तो पढ़ने के लिए छात्रों से बहुत कुछ नया होगा। अभी कई विश्वविद्यालयों में वर्षों से पाठ्यक्रम में कोई बदलाव ही ने किया गया। ऐसे में आमूलचूल परिवर्तन की जरूरत है। उन्होंने कहा कि शिक्षा प्राप्त करने की कोई उम्र नहीं होनी चाहिए। अगर कोई बच्चा 10-11 वर्ष में 10वीं की बोर्ड परीक्षा की योग्य है तो उसे उसमें शामिल होने का मौका मिलना चाहिए। आजकल के बच्चे पहले के बच्चों से बहुत आगे हैं। ऐसे में लैपटॉप, कंप्यूटर और मोबाइल उनके लिए वरदान सिद्ध हो रहे हैं। वह अपने पेरेंट्स तक को तकनीकी जानकारी उपलब्ध कराने की क्षमता रखते हैं।जब ऐसा है तो फिर उम्र की बात का क्यों।