पुलिस कमिश्नरेट की सक्रियता बढ़ी तो कानपुर में घटने लगा अपराध का ग्राफ, देखें घटनाओं की स्थिति
कानपुर में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू होने के बाद आपराधिक घटनाओं में कमी दिखाई देने लगी है बीते पंद्रह दिन के आंकड़े तो यही बयां कर रहे हैं। वहीं घटनाओं में कई मामलों का राजफाश भी पुलिस कर चुकी है।
कानपुर, जेएनएन। कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए किए जा रहे प्रयास और पुलिस आयुक्त प्रणाली के चलते अपराधिक घटनाओं में भी कमी दिखाई देने लगी है। 26 मार्च को पुलिस आयुक्त प्रणाली शुरू होने से पहले के आंकड़ों पर गौर करें तो शहर में जहां चोरी की 11 घटनाएं हुई थीं, वहीं 26 के बाद केवल सात घटनाएं हुईं हैैं। इसी तरह लूट की भी घटनाएं 50 फीसद कम हुईं हैं।
पुलिस आयुक्त प्रणाली शुरू होने से पहले पिछले महीने चोरी की तीन घटनाएं पुलिस की नाक के नीचे ही हुई थीं। एकता चौकी के पास 16 मार्च को बदमाशों ने कार का टायर पंचर करके अंदर रखे दो बैग पार कर दिए थे। यह बैग उरई निवासी व्यापारियों रोहित गुप्ता व अमित तोमर के थे। जिसमें करीब पांच लाख रुपये थे। यही नहीं मूलगंज थाने के पास भी चोरों ने लोहा फर्म से हजारों का माल और बेकनगंज थाने के पास महिला के बैग से जेवरों भरा पर्स पार कर दिया था।
20 मार्च को तो बदमाशों ने फीलखाना की नीलवाली गली में ज्वैलरी फर्म में डकैती डाल दी। कारीगर भाइयों को गन प्वाइंट पर पीटकर 70 ग्राम सोने के जेवर लूट लिए थे। हालांकि एकता चौकी व बेकनगंज थाने के पास हुई घटना को छोड़कर अन्य वारदात का राजफाश हो चुका है। 10 मार्च से 25 मार्च के बीच चकेरी में महिला अधिवक्ता ममता व बर्रा दो निवासी फैक्ट्रीकर्मी विनय प्रभाकर की हत्या हुई थी। पुलिस ने दोनों ही वारदात का राजफाश कर दिया था। वहीं 26 तारीख को कमिश्नरी प्रणाली शुरू होते ही अर्मापुर में ओईएफ कर्मी के बेटे धीरज गुप्ता की हत्या हुई थी। पुलिस इस मामले में भी आरोपितों को जेल भेज चुकी है।
घटनाएं 10 से 25 मार्च
हत्या - 02
चोरी - 11
लूट - 06
पॉक्सो एक्ट- 05
हमला - 05
घटनाएं 26 मार्च से 10 अप्रैल
हत्या - 01
चोरी - 07
लूट - 03
पॉक्सो एक्ट- 02
हमला - 05
(नोट- आंकड़े पुलिस विभाग से)