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जन्मदिन विशेष : वो बल्लेबाज जो कभी शून्य पर नहीं लौटा पवेलियन, यूपी टीम में चमक रहा अनुभव

कानपुर में खिलाडिय़ों को संवारने के लिए की जी-तोड़ मेहनत करने वाले यशपाल शर्मा दो साल तक उप्र टीम क्रिकेटर रहे।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Tue, 11 Aug 2020 08:54 AM (IST)Updated: Tue, 11 Aug 2020 08:54 AM (IST)
जन्मदिन विशेष : वो बल्लेबाज जो कभी शून्य पर नहीं लौटा पवेलियन, यूपी टीम में चमक रहा अनुभव
जन्मदिन विशेष : वो बल्लेबाज जो कभी शून्य पर नहीं लौटा पवेलियन, यूपी टीम में चमक रहा अनुभव

कानपुर, अंकुश शुक्ल। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कभी शून्य पर पवेलियन नहीं लौटने का अनोखा रिकार्ड कायम करने वाले यशपाल शर्मा हमेशा शिखर पर रहे। दो साल तक उप्र की क्रिकेट टीम भी उनके हुनर का अनुभव पाकर खूब चमकी। उनका कानपुर से विशेष लगाव रहा, जो अभी भी बरकरार है।

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11 अगस्त 1954 में लुधियाना में जन्मे क्रिकेटर यशपाल शर्मा का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की दुनिया में पदार्पण चिर प्रतिद्वंदी पाकिस्तान के खिलाफ वर्ष 1978 में हुआ। इसके बाद वह वर्ष 1983 में विश्वकप विजेता भारत की ड्रीम टीम का भी हिस्सा रहे। 1985 में अपने करियर का आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने वाले यशपाल शर्मा को सात साल के अंतराल में कभी कोई गेंदबाज शून्य पर आउट नहीं कर सका।

संतुलित टीम पर रहता था फोकस

यशपाल शर्मा वर्ष 2000 से 2002 तक उप्र रणजी टीम के मुख्य कोच रहे। उस दौरान पूर्व राष्ट्रीय खिलाड़ी शशिकांत खांडेकर टीम मैनेजर थे। शशिकांत के मुताबिक, उन्होंने हमेशा संतुलित टीम बनाने के लिए हर खिलाड़ी के प्रदर्शन पर नजर रखी। हमेशा खिलाडिय़ों को हर फार्मेट में बेहतर करने के लिए प्रेरित कर मैदान में खूब अभ्यास कराते थे। उनके समय में उप्र रणजी टीम ने कई प्रमुख टीमों को शिकस्त दी थी।

टीम को जीत के ट्रैक पर लाने को होते थे गुस्सा

उप्र रणजी टीम के कप्तान रहे क्रिकेटर ज्ञानेंद्र पांडेय बताते हैं, टीम को जीत के ट्रैक पर लाने के लिए वे अक्सर गुस्सा हो जाते थे। उस दौर में उप्र के दो मैचों में हार के बाद कोच यशपाल शर्मा गुस्सा होकर ड्रेसिंग रूम छोड़कर चले गए थे। इसके बाद टीम ने अगले दो मैचों में राजस्थान और विदर्भ को हराकर नाकआउट में प्रवेश किया था। वे व्यक्तिगत रूप से मुझे गेंदबाजी के टिप्स देते थे। उनका हर खिलाड़ी के साथ बेहतर तालमेल रहा।

दोस्त के बेटे को गिफ्ट में दिया था बल्ला

उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन में कार्यरत केके अवस्थी से दिग्गज क्रिकेटर यशपाल के घरेलू संबंध थे। वे वर्ष 1983 में विश्व कप विजेता टीम का हिस्सा रहने के बाद जब दोस्त के सूटरगंज स्थित आवास पर पहुंचे तो उनके बेटे अविनाश को अपना बल्ला गिफ्ट दिया था। केके अवस्थी बताते हैं, उनका खेल व खिलाडिय़ों के प्रति हमेशा सकारात्मक व्यवहार रहा, जिससे वह क्रिकेट प्रेमियों के दिल में राज करते हैं।


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