कानपुर : दूसरी पत्नी ने पहली से मांगा गुजारा भत्ता, कोर्ट किया इन्कार, पति की मौत के बाद दी थी अर्जी
संतकबीर नगर निवासी गंगा प्रसाद विद्युत वितरण खंड में बतौर श्रमिक तैनात थे। वर्ष 1987 में उनकी खलीलाबाद निवासी मालती के साथ शादी हुई। वर्ष 1991 में उन्होंने कानपुर के दौलतगंज निवासी उर्मिला से भी शादी कर ली।
कानपुर, जागरण संवाददाता। पति की मौत के बाद पहली पत्नी से गुजारा भत्ता दिलाने की दूसरी पत्नी की मांग को कोर्ट ने ठुकरा दिया है। पारिवारिक न्यायालय ने विधिक व्यवस्था न होने की बात कहते हुए प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया। दूसरी पत्नी पति के रहते हुए उससे गुजारा भत्ता ले रही थी।
संतकबीर नगर निवासी गंगा प्रसाद विद्युत वितरण खंड में बतौर श्रमिक तैनात थे। वर्ष 1987 में उनकी खलीलाबाद निवासी मालती के साथ शादी हुई। वर्ष 1991 में उन्होंने कानपुर के दौलतगंज निवासी उर्मिला से भी शादी कर ली। पहली पत्नी से आठ और दूसरी पत्नी से उन्हें दो बच्चे थे। गंगा प्रसाद उर्मिला से अलग रहने लगे तो उर्मिला ने 19 दिसंबर 2002 को पारिवारिक न्यायालय में भरण पोषण का वाद दाखिल किया। न्यायालय ने 30 अप्रैल 2004 को आदेश दिया जिसमें वाद दाखिल करने की तिथि से 1500 रुपये भत्ता देने की बात कही। उर्मिला को गुजारा भत्ता मिलने लगा।
2012 में पति की हुई मौत, पहली पत्नी को मिली नौकरी
वर्ष 2007 में उर्मिला ने फिर मुकदमा दाखिल कर भत्ता बढ़ाने की मांग की, जिस पर वर्ष 2011 में न्यायालय ने 15 सौ से इसे बढ़ाकर तीन हजार कर दिया जो गंगा प्रसाद के वेतन से कटने लगा। एक साल बाद वर्ष 2012 में गंगा प्रसाद की मौत हो गई। मालती ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की। पहली पत्नी होने के चलते उन्हें मृतक आश्रित कोटे से नौकरी मिल गई और 15 हजार रुपये वेतन मिलने लगा।
दूसरी पत्नी ने कोर्ट में यह दिया तर्क
उर्मिला ने वर्ष 2015 में पारिवारिक न्यायालय में पुन: अर्जी देकर मालती से गुजारा भत्ता दिलाए जाने की मांग की। आधार दिया कि मृतक आश्रित में वह पति की नौकरी कर रही हैं।
पहली पत्नी के रहते दूसरी शादी अमान्य
मामले में अधिवक्ता अनूप शुक्ला ने बताया कि अपर प्रधान न्यायाधीश पारिवारिक न्यायालय विजय राजे सिसोदिया ने उर्मिला का प्रार्थना पत्र इस आधार पर खारिज कर दिया कि पहली पत्नी के रहते दूसरी शादी शून्य है।