एक हजार रुपए के लिए भाभी को उतार दिया था मौत के घाट, 33 साल बाद मिली सजा Kanpur News
हाईकोर्ट से मूल फाइल की वापसी के बाद सुनवाई के बाद फैसला आया।
कानपुर, जेएनएन। कहते हैं भगवान के घर देर है, अंधेर नहीं। भले ही देरी हो जाए लेकिन भगवान न्याय करते हैं। एक हजार रुपये के लिए भाभी को जलाकर मारने वाला देवर बचने के लिए काफी जतन करता रहा लेकिन आखिर 33 साल बाद अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश विनय कुमार सिंह ने उम्रकैद और तीन हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। फैसला आने के बाद पुलिस अभिरक्षा में उसे जेल भेज दिया गया है।
बाबूपुरवा निवासी कमर अली ने 3 सितंबर 1986 को पत्नि मोमना बेगम को केरोसिन डालकर जला दिया था। मोमना ने अपने बयान में पति के साथ देवर दुक्खी का नाम लिया था। पुलिस को दिए बयान में कहा था कि एक हजार रुपये मायके से न लाने पर दोनों ने जला दिया। 19 दिन इलाज के बाद मोमना कि एलएलआर अस्पताल में मौत हो गयी थी। इस मामले में कमर गिरफ्तार हो गया जबकि दुक्खी फरार हो गया। कोर्ट ने कमर को उम्रकैद की सजा सुना दी। इसके बाद पुलिस ने दुक्खी को गिरफ्तार कर लिया।
2 अक्टूबर 1987 को उसके खिलाफ चार्जशीट लगाई लेकिन आरोप तय नहीं हो सके क्योंकि कमर ने हाइकोर्ट में सजा के खिलाफ अपील की थी जिससे मूल $फाइल हाइकोर्ट चली गयी। सहायक शासकीय अधिवक्ता शिव भगवान गोस्वामी ने बताया कि मूल $फाइल की वापसी पर 3 मई 2016 को सुनवाई शुरू हुई। न्यायालय ने दुक्खी को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है।