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Coronavirus News: दिल की दवा से कोरोना को मात, ईको स्प्रिन एवं क्लोपी डोगरल से मिले बेहतर परिणाम

कानपुर में हैलट के कोविड हॉस्पिटल के आइसीयू में 63 संक्रमितों पर अध्ययन किया गया है गंभीर संक्रमितों में तेजी से सुधार हुआ और ऑक्सीजन लेवल चार दिन में मेंटेन हुआ और 10-12 दिन में अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Wed, 18 Nov 2020 06:57 AM (IST)Updated: Wed, 18 Nov 2020 05:34 PM (IST)
Coronavirus News: दिल की दवा से कोरोना को मात, ईको स्प्रिन एवं क्लोपी डोगरल से मिले बेहतर परिणाम
कानपुर में डॉक्टरों ने खोजा कोरोना का तोड़।

कानपुर, [ऋषि दीक्षित]। एलएलआर हॉस्पिटल (हैलट) के न्यूरो साइंस सेंटर के कोविड आइसीयू के क्रिटिकल केयर एक्सपर्ट दिल की दवा से कोरोना को मात देने में कामयाब हुए हैं। कोविड आइसीयू में अब तक 63 कोरोना संक्रमित गंभीर मरीजों में प्रयोग के तौर पर हार्ट अटैक के मरीजों को खून पतला करने के लिए दी जाने वाली ईको स्प्रिन एवं क्लोपी डोगरल दवाएं चलाईं। इसके बेहतर परिणाम मिले, जहां गंभीर संक्रमितों को अस्पताल में 15-20 दिन तक रुकना पड़ रहा था। इस प्रयोग से मरीजों में तेजी से सुधार हुआ और उन्हेंं 10 से 12 दिन में छुट्टी दे दी गई।

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केस-1 : किदवई नगर निवासी 61 वर्षीय बुजुर्ग दिल की बीमारी से पीडि़त थे। कोरोना संक्रमित होने पर हैलट के कोविड हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया तो उनका दम फूल रहा था। सांस की तकलीफ को देखते हुए उन्हेंं वेंटीलेटर पर रखा गया था। उन्हेंं दिल की दवाएं चल रही थीं, जिससे सामान्य कोविड मरीजों की अपेक्षा उनमें तेजी से सुधार होते दिखा। डॉक्टरों ने वजह जानी तो पता चला कि उन्हेंं दिल की दवा में खून पतला करने वाली दवा भी चल रही है। इसलिए दूसरे गंभीर मरीजों की तुलना में वह तेजी से रिकवर कर गए।

केस-2 : स्वरूप नगर निवासी कोरोना संक्रमित 63 वर्षीय महिला को सांस लेने में तकलीफ के साथ सीने में दबाव बढऩे की दिक्कत थी। हैलट के कोविड आइसीयू में उनके फेफड़े का सीटी स्कैन हुआ तो संक्रमण काफी फैल चुका था। खून के छोटे थक्के जम चुके थे। ऐसे में खून पतला करने की दवा चलाने से उनकी स्थिति में तेजी से सुधार हुआ।

केस-3 : चकेरी निवासी 47 वर्षीय युवक को कोरोना का संक्रमण हो गया था। गंभीर स्थिति में हैलट के कोविड हॉस्पिटल में भर्ती हुए थे। सांस लेने में तकलीफ होने पर वेंटीलेटर पर रखा गया था। उनका ऑक्सीजन लेवल लगातार गिर रहा था। ऐसे में खून पतला करने की दवा चलाई गई, जिसका दो दिन में असर दिखने लगा और चार दिन में ही वेंटीलेटर से बाहर आ गए।

ऐसे मिली अध्ययन की प्रेरणा

हृदय रोग संस्थान (कार्डियोलॉजी) में आए दिल के मरीज जब कोरोना संक्रमित हुए तो उन्हेंं हैलट के कोविड हॉस्पिटल भेजा गया। इन मरीजों में हार्ट अटैक के अलावा पेस मेकर एवं स्टंट भी पड़ा था। उन्हें खून पतला करने की दवाएं दी जा रही थीं। इससे इनके फेफड़े में बदलाव नहीं दिखा। इनका ऑक्सीजन सेचुरेशन यानी ऑक्सीजन लेवल भी मेंटेन था। इन्हेंं ऑक्सीजन देने की जरूरत ही नहीं पड़ी। एक्सरे एवं सीटी स्कैन जांच में भी फेफड़े पूरी तरह साफ दिखे। इसे देखते हुए क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ ने शोध का फैसला किया।

सामान्य की अपेक्षा तेजी से सुधार

उन्होंने 63 गंभीर मरीजों को खून पतला करने की दवा दीं और वह 10-12 दिन में आइसीयू से बाहर आ गए। उनका ऑक्सीजन लेवल भी मेंटेन हो गया। वहीं, दूसरे मरीजों को रिकवर करने में 18-20 दिन लग रहे हैं।

  • कोरोना का संक्रमण होने पर खून के थक्के बनने लगते हैं। इससे फेफड़े के साथ दिल की नसों में भी ब्लॉकेज होने लगता है। तेजी से संक्रमित की स्थिति बिगडऩे लगती है, इसलिए खून पतला करने की दवाएं कारगर साबित हुईं हैं। इन दवाओं से ऑक्सीजन लेवल भी तेजी से सुधरता है। अब तक 63 मरीजों में बदलाव देखा जा चुका है। - डॉ. चंद्रशेखर सिंह, एसोसिएट प्रोफेसर, एनस्थीसिया विभाग, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज।

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