Coronavirus: लॉकडाउन के खौफ में भा रहा अपना घर और गांव, मुंबई से आ रहे अप्रवासी
देश में एक बार फिर कोरोनावायर का कहर बढ़ता देखकर लॉकडाउन का भय फिर सताने लगा है। अप्रवासी अब मुंबई व अन्य शहरों से अपने घर और गांव लौट रहे हैं। इसके चलते ट्रेनों में पैर रखने तक की जगह नहीं है।
कानपुर, जेएनएन। लॉकडाउन की वह डरावनी तस्वीरें आज भी जेहन में हैं। फिर से वही दुश्वारियां अब नहीं झेलनी हैं। इससे पहले कि लॉकडाउन में सब बंद हो, घर वापसी के लिए निकल पड़े हैं। शुक्रवार को मुंबई के कल्याण जंक्शन से गोरखपुर के लिए चली विशेष ट्रेन में सफर करने वाले आप्रवासियों का यही कहना था। ट्रेन का नजारा भी बता रहा था कि मुंबई के लॉकडाउन में आप्रवासी अब फंसना नहीं चाहते हैं।
लोकमान्य तिलक टर्मिनल से गोरखपुर के लिए चलने वाली स्पेशल ट्रेन दोपहर 1:45 बजे सेंट्रल स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर आठ पर पहुंची। स्पेशल ट्रेन के एसी कोच को छोड़ दें तो स्लीपर से जुड़े सभी कोच आप्रवासियों से ठसाठस भरे थे। किसी भी कोच में पैर रखने की जगह नहीं थी। एक सीट पर छह से सात आप्रवासी बैठे थे। सफर के दौरान कोविड प्रोटोकॉल के पालन का दंभ भरने वाले रेलवे अधिकारी कोच की तस्वीरें देखकर जरूर चौंक जाएंगे। खैर, असुविधा के इस सफर में आप्रवासियों की अपनी परेशानियां थीं।
किसी कोच के यात्रियों को एक हजार रुपये की रसीद काटकर दी गई थी तो कोई छह सौ की रसीद कटाकर कल्याण जंक्शन से चढ़ा था। चूंकि रेलवे आरक्षित टिकट पर ही यात्रियों को सफर की अनुमति दे रहा है, लेकिन इन आप्रवासियों के पास आरक्षित टिकट नहीं था। आप्रवासी बताते हैं कि झांसी में काफी भीड़ कम हुई अन्यथा ट्रेन और भरी थी। बोले, हम लोग डरे हुए हैं। लॉकडाउन फिर न लग जाए इसलिए सब जल्दी घर जाना चाहते हैं।
आप्रवासियों की जुबानी
- दादर में ड्राइवर हूं। रात में वहां कफ्र्यू लगा है, जबकि दिन में भी दुकानें बंद रहती हैं। काम बचा नहीं है इसलिए घर वापसी करना मजबूरी है। -राजू, बस्ती
- टिकट आरक्षित नहीं कराया था। कल्याण जंक्शन से 600 रुपये की रसीद कटाकर सफर कर रहे हैं। कारपेंटर का काम जानते हैं। मुंबई में सब बंद हो गया है। -अरविंद विश्वकर्मा, वाराणसी
- मुंबई में हालात ज्यादा खराब हो चुके हैं। काम धंधा सब बंद है। हमारी सैलून की दुकान भी कई दिनों से बंद थी। पैसा बचा नहीं तो घर जा रहे हैं। -हसन मोहम्मद, गोरखपुर
- मुंबई में सबकुछ बंद होने से धीरे-धीरे व्यवस्थाएं भी बिगड़ती जा रही थीं। मैकेनिक का काम करता हूं, लेकिन कई दिन से एक पैसे का काम नहीं किया। -मोहम्मद वसीम, फतेहपुर
मुंबई से आने वाली ट्रेनों का कानपुर में ठहराव
-एलटीटी गोरखपुर
-एलटीटी लखनऊ
-पनवेल गोरखपुर
-कुशीनगर एक्सप्रेस
-बांद्रा कानपुर
-बांद्रा गोरखपुर
- मुंबई से आने वाली ट्रेनों की कोई कमी नहीं है। आप्रवासी घर लौट रहे हैं तो उनकी सहूलियत का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। किसी तरह की कोई समस्या नहीं आने दी जाएगी। -अमित कुमार सिंह, जनसंपर्क अधिकारी प्रयागराज मंडल