Coronavirus : इन परदेशियों से लें सीख, घर जाने से पहले अस्पताल की चौखट पर गुजार रहे हैं रातें
दिल्ली व अन्य शहरों से लौटे लोग गांव जाने से पहले अस्पतालों में करा रहे हैं जांच।
फतेहपुर, जेएनएन। दिल्ली, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा व अन्य दूसरे प्रांतों से लौटने वाले संक्रमण की जांच कराने के लिए दिन-रात सरकारी अस्पतालों में डटे हुए हैं। घंटों इंतजार और पुलिस की डांट फटकार के बाद जब तक चिकित्सीय जांच का पर्चा इनके हाथ नहीं लगता, तब तक वे अपनी जगह से टस से मस नहीं होते।
खागा सीएचसी में सुबह आठ बजे से लगी लाइन
हथगाम ब्लाक के आलीमऊ गांव निवासी अशोक कुमार, छोटेलाल, तेजीलाल, श्रवण व संदीप दिल्ली से रात में लौटे थे। इन सभी का कहना था उनका गांव तीन किमी दूर है। वे लोग जब तक जांच नहीं करा लेते हैं परिवार के बीच नहीं जाएंगे। पेशे से फैक्ट्री मजदूरों के चेहरों पर अपने परिवार की चिंता इस कदर थी कि वह किसी से बात करते समय बार-बार मुंह-नाक को रुमाल से ढक लेते थे। इनके साथ ही टेकारी गांव के रहने वाले राधेश्याम, अखिलेश, रामबरन, करन व अरविंद भी दिल्ली से लौटकर गांव जा रहे थे। पलिया गांव के रहने वाले राजकुमार, कृष्णकुमार, रामू तथा सुरेंद्र रात दस बजे सूरत, गुजरात से लौटकर जांच के लिए सीएचसी पहुंच गए। सैकड़ों मील का सफर करके गांव लौटने वाले परदेशियों ने अस्पताल परिसर में ही रात गुजारी। सोमवार सुबह सोशल डिस्टेंस के साथ अस्पताल प्रांगण में लाइनें लगवाई गईं।
14 दिनों तक घर में क्वारंटाइन रहने की सलाह देकर भेजा गया घर
दूसरे शहरों से आने वाले लोगों में संक्रमण की जांच करते हुए उन्हें आगामी 14 दिनों तक घरों पर क्वरंटाइन रहने की सलाह देकर घर भेजा गया। खागा सीएचसी में रात भर लोगों की आवाजाही लगी रही। सुबह आठ बजे से अस्पताल में अलग-अलग छह लाइनें लगवाकर स्वास्थ्य परीक्षण शुरू हुआ। अधीक्षक डा. यूपी कुश्वाहा का कहना था दूसरे शहरों से आने वाले लोग स्वयं थोड़ी सी जागरुकता दिखाते हुए अपने घर, परिवार व गांव की सुरक्षा कर सकते हैं। संक्रमण का प्रभाव चौदह दिनों में दिखाई पड़ता है। ऐसे में यदि परदेश से लौटने वाले स्वयं अपने को एकांत में रखते हैं तो उनके संक्रमण से किसी दूसरे व्यक्ति को बीमारी का खतरा नहीं रहता है।