बहुत काम का है ये टचलेस डिस्पेंसर, हाथ की जरूरत के हिसाब से करेगा सैनिटाइज
केआइटी के एमटेक छात्र अखिलेश कुमार ने टचलेस सैनिटाइजर डिस्पेंसर बनाया है जो निश्चित करता है कि सैनिटाइजर कब और कितनी मात्र में गिरना है।
कानपुर, [विक्सन सिक्रोड़िया]। कोरोना संग जीना है इसलिए सैनिटाइजर अब रोजमर्रा के जीवन में शामिल हो गया है। ऐसे में उसे किफायत से उपयोग में लाना भी जरूरी है ताकि खर्च का बोझ न बढ़ सके। कुछ इसी सोच के साथ एमटेक छात्र ने एक ऐसा उपकरण (टचलेस सैनिटाइजर डिस्पेंसर) बनाया है जिससे उतनी ही मात्र में सैनिटाइजर निकलता है जितनी आपके हाथों को जरूरत है। खासियत यह भी है कि इसे छुए बिना सैनिटाइजर निकालकर हाथों को वायरस मुक्त रख सकेंगे।
कोरोना से बचाव के लिए दफ्तर, बाजार व दुकानों आदि स्थानों पर सैनिटाइजर का इस्तेमाल किया जा रहा है। एक ही बोतल से कई व्यक्तियों के सैनिटाइजर लेने के दौरान जरा सी लापरवाही भारी पड़ सकती है। कानपुर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के एमटेक प्रथम वर्ष के इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन के छात्र अखिलेश कुमार ने जो उपकरण बनाया है वह हाथ बढ़ाते ही सैनिटाइज कर देगा।
प्लास्टिक से बने इस उपकरण को इंफ्रारेड सेंसर के जरिए विकसित किया गया है। इसमें आरडीनो की प्रोग्रामिंग की गई है, जिसके लिए एटमेगा 328 माइक्रो कंट्रोलर का उपयोग किया गया है। यह निश्चित करता है कि सैनिटाइजर कब व कितनी मात्र में गिरना है। अब थर्मल स्कैनर के अलावा इसे कैमरे से जोड़ा जा रहा है जो परिसर में आने वाले व्यक्ति को स्कैन कर बताएगा कि शरीर का तापमान कितना है और मास्क पहना है कि नहीं।
एक हजार रुपये में बना उपकरण, 5.6 वोल्ट की बैटरी से चलेगा
अखिलेश कुमार का कहना है कि महज एक हजार रुपये में बने टवलेस सैनिटाइजर डिस्पेंसर को 5.6 वोल्ट की बैटरी के साथ ही बिजली से चलाया जासकता है। यह उपकरण कार्यालयों, स्कूलों, अस्पतालों, पुलिस स्टेशनों व कारखानों आदि में उपयोग के लिए बनाई गई है। इसे बनाकर बाजार में उतारने के लिए कंपनियों से बात की जा रही है।