नए साल में आ सकती है कोरोना की स्वदेसी वैक्सीन, दूसरे चरण के ट्रायल के मिले बेहतर परिणाम
कानपुर में पहले चरण के ट्रायल में 33 और दूसरे चरण में 42 वालंटियर को वैक्सीन लगाई गई। इस दौरान वालंटियर के ब्लड सैंपल की जांच में उम्मीद से ज्यादा एंटी बॉडी टाइटर बनने से वैज्ञानिक उत्साहित हैं।
कानपुर, जेएनएन। अगर कोई अड़चन नहीं आई तो कोरोना महामारी से जंग लड़ रहे देशवासियों को नए साल में स्वदेशी वैक्सीन का तोहफा मिल सकता है। वैक्सीन के दूसरे चरण के ट्रायल के बाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे में वालंटियर के ब्लड सैंपल की हुई जांच में उम्मीद से ज्यादा एंटीबॉडी टाइटर बने हैं। इससे वैज्ञानिक उत्साहित हैं।
देश की पहली स्वदेशी कोरोना वैक्सीन इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च एवं भारत बायोटेक के सहयोग से तैयार की गई है। इसका ट्रायल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स दिल्ली) समेत देश के 13 सेंटरों पर हो रहा है। पहले चरण में उत्तर प्रदेश के दो सेंटर में शहर के प्रखर हॉस्पिटल और गोरखपुर के निजी अस्पताल शामिल थे। गोरखपुर के अस्पताल ने ट्रायल से हाथ खड़े कर दिए, इससे सिर्फ कानपुर का सेंटर बचा। पहले चरण के ट्रायल में यहां पर 33 वालंटियर को वैक्सीन लगाई गई थी, जबकि दूसरे चरण में 42 को। 28 दिन बाद बूस्टर डोज भी लगाया गया। कोई साइड इफेक्ट नहीं मिले। दोनों ट्रायल के सैंपल जांच के लिए पुणे भेजे गए थे।
- वैक्सीन के परिणाम उत्साहजनक हैं। उम्मीद से अधिक 40 से 60 के बीच एंटीबॉडी टाइटर बने हैं। इस डाटा को कंपाइल कर ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया को भेजा जाएगा। उसके बाद ही तीसरे चरण की अनुमति मिलेगी। तेजी से काम चल रहा है, इसे देखकर लगता है नए साल तक वैक्सीन आ जाएगी। -प्रो. जेएस कुशवाहा, वैक्सीन ट्रायल के चीफ गाइड, प्रखर हॉस्पिटल।