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Coronavirus News: कोरोना संक्रमण से ठीक हुए तो नई बीमारी ने घेरा, हैलट अस्पताल में पहुंच रहे मरीज

Covid-19 News कोरोना संक्रमण से ठीक होने वाले लोगों की आंखों की रोशनी प्रभावित हो रही है। हैलट के कोविड आइसीयू में वेंटीलेटर व ऑक्सीजन में रहने वालों को दिक्कत हो रही है। वहीं स्टेरायड चलाने से मधुमेह की समस्या के साथ आंखों पर असर पड़ रहा है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Sun, 22 Nov 2020 09:35 AM (IST)Updated: Sun, 22 Nov 2020 09:35 AM (IST)
Coronavirus News: कोरोना संक्रमण से ठीक हुए तो नई बीमारी ने घेरा, हैलट अस्पताल में पहुंच रहे मरीज
कानपुर में कोरोना को मात देने वाले आंखों की समस्या से पीड़ित हो गए हैं।

कानपुर, [ऋषि दीक्षित]। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के हैलट अस्पताल के नेत्र रोग विभाग में कोरोना से ठीक होने वाले मरीज आंखों में समस्या लेकर पहुंच रहे हैं। खासकर वैसे संक्रमित, जो ऑक्सीजन पर रखे गए। उनकी रोशनी पर प्रभाव पड़ा है। आंखों में लालपन, जलन, पानी आने की शिकायत है। कार्निया पर भी असर पड़ा है। इन्हें मधुमेह की भी समस्या हुई है। इन मरीजों का इलाज चल रहा है, कई को फायदा भी हुआ है।

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Case-1  : श्याम नगर का एक युवक कोरोना की चपेट में आने पर गंभीर हालत में हैलट के न्यूरो साइंस सेंटर के कोविड आइसीयू में भर्ती हुआ था। ऑक्सीजन लेवल 70 फीसद पहुंच गया था। 18 दिन बाद स्थिति सुधरी, लेकिन आंखों में लालपन और जलन शुरू हो गई।

Case-2 : दामोदर नगर निवासी युवती कोरोना की चपेट में आई थी। जब ऑक्सीजन सेचुरेशन 83 फीसद पहुंचा तो हैलट के कोविड आइसीयू में भर्ती हुई। फेफड़े में पूरी तरह संक्रमण फैलने पर वेंटीलेटर पर रखा गया। 16 दिन तक भर्ती रही। अब उसे भी आंखों में जलन, चुभन और पानी आने की समस्या शुरू हो गई है।

अबतक 13 मरीज आए

कोरोना से उबर चुके 13 मरीज नेत्र रोग विभाग में अब तक आए हैं। जांच में इनकी कार्निया में जख्म जैसा पाया गया, जिससे रोशनी पर भी असर पड़ा था। नेत्र रोग विभागाध्यक्ष प्रो. परवेज खान का कहना है, वेंटीलेटर पर लंबे समय तक रहने पर आंखें खुली रहने से सूखापन (ड्राइनेस) होने से दिक्कत होने लगती है। उनकी आंखों की जांच में जख्म जैसा पाया गया। इस समस्या को कार्नियल जीरोसिस कहा जाता है।

क्या कहते हैं चिकत्सिक

  • -कोरोना वायरस का संक्रमण होने पर फेफड़े की छोटी-छोटी नलिकाओं में खून के थक्के बन जाते हैं। ऐसे थक्के आंखों में भी बन सकते हैं, जो सीटी स्कैन जांच में पता चलता है। कोरोना संक्रमितों में स्टेरायड की दवाएं चलाई जाती हैं, जिससे मधुमेह की समस्या होती है। -डॉ. चंद्रशेखर सिंह, एसोसिएट प्रोफेसर, एनस्थेसिया विभाग, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज।
  • कोरोना वायरस के साइड इफेक्ट भी बाद में देखने में आ रहे हैं। स्टेरायड चलने से मधुमेह हो रहा है, जिससे आंखों में खून के थक्के बन रहे हैं। कोविड आइसीयू में वेंटीलेटर पर लंबे समय तक रहने से आंखों में सूखापन होने से कार्निया में जख्म बन जाता है। -प्रो. परवेज खान, विभागाध्यक्ष, नेत्र रोग, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज।

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