Coronavirus Vaccination कराने वालों में खतरे की गंभीरता कम, कई रोगियों की हालत में जल्दी आया सुधार
हैलट के दोनों कोविड अस्पताल में भर्ती वैक्सीनेशन करा चुके कई रोगियों की हालत में जल्दी सुधार आया है। दोनों टीका लगवाने वालों में एंटीबॉडीज बेहतर बनी हुई हैं। उनकी हालत बिगडऩे पर रोक लगा देती हैं। ये टीके गंभीर हालत होने से बचाव करते हैं।
कानपुर, जेएनएन। कोरोना वायरस का टीका कोविड के घातक हमले से बचाव कर रहा है। मरीज के समय पर अस्पताल पहुंचने और इलाज शुरू होने से उनकी स्थिति गंभीर नहीं हो रही है। यह रक्षा कवच दोनों डोज लेने वालों पर अधिक असरदार है, जबकि पहली डोज लेने वाले टीकाकरण न कराने वालों से बेहतर स्थिति में हैं। यह सच हैलट के न्यूरो साइंस कोविड अस्पताल और मैटरनिटी कोविड ङ्क्षवग में भर्ती संक्रमितों के इलाज से सामने आया है। उनकी रिकवरी रेट भी कुछ हद तक तेज है। डॉक्टरों ने आइसीयू और एचडीयू में भर्ती अत्यधिक गंभीर रोगियों का डेटा तैयार करना शुरू कर दिया है। अभी प्रारंभिक जानकारी हेल्थ वर्कर और फ्रंट लाइन वर्करों के इलाज से सामने आई है। कुछ रोगियों ने पहली ही डोज लगवाई थी, लेकिन उनके अंदर एंटीबॉडीज बेहतर काम कर रही हैं।
न्यूरो साइंस कोविड हॉस्पिटल के एचडीयू इंचार्ज प्रो. चंद्रशेखर सिंह ने बताया कि अस्पताल में भर्ती रोगियों की डिटेल ली जा रही है। उनसे टीकाकरण की हिस्ट्री पूछी जा रही है। ऐसे रोगियों में गंभीरता कम मिली है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्रो. जेएस कुशवाहा ने बताया कि दोनों टीका लगवाने वालों में एंटीबॉडीज बेहतर बनी हुई हैं। यह संक्रमितों का बचाव कर रही है। उनकी हालत बिगडऩे पर रोक लगा देती हैं। ये टीके गंभीर हालत होने से बचाव करते हैं।
वैक्सीनेशन के बाद बरतें एहतियात
प्रो. कुशवाहा के मुताबिक पहली डोज के एक महीने बाद सही तरह से एंटीबॉडीज काम करती हैं। शुरुआत में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता डोज के बाद एंटीबॉडीज को सर्च करती रहती है। एक बार पहचान होने पर एंटीबॉडीज रक्षा के लिए तैयार हो जाती है। दूसरी डोज में यह सिलसिला जल्दी शुरू हो जाता है। ऐसे में पहली व दूसरी डोज के एक महीने तक एहतियात बरतना जरूरी है। मास्क लगाकर ही बाहर निकलें। शारीरिक दूरी का पालन करें।