Coronavirus Kanpur News: इलाज के आस में अस्पतालों की दहलीज पर टूटी मरीजों की सांस
कानपुर में हैलट उर्सला और नर्सिंगहोम में ऑक्सीजन बेड खाली न होने का हवाला देकर भर्ती नहीं करने से बाहर गेट पर कई मरीजों ने दम तोड़ दिया। घर वाले कभी रोते हैं तो कभी सिस्टम को दोष देकर अपनी भड़ास निकालते हैं।
कानपुर, जेएनएन। बड़ी से बड़ी बीमारी, प्राकृतिक आपदा और हादसों में जान बचाने वाले डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ संक्रमण काल में भी कमर कसे हुए हैं। उनके प्रयासों से संक्रमितों का नया जीवनदान मिल रहा है। यहां तक तो सब ठीक है, लेकिन आखिर क्या कारण है कि इलाज से पहले ही मरीजों की मौत हो जा रही है। इसके पीछे बड़ी वजह संसाधनों का अभाव और अनियोजित प्लानिंग है। जिम्मेदार भले ही कुछ भी कहें, लेकिन मरीज और तीमारदार इलाज की आस लेकर अस्पताल की दहलीज पर पहुंच रहे हैं। इलाज न मिलने के कारण मौत हो जाने से घरवालों की आंखों में आशा की चमक आंसू में बदल जा रही है। कभी वह किसी के सामने गिड़गिड़ाते हैं तो कभी सिस्टम को दोष देते हैं।
हकीकत बयां करने वो कुछ मामले
- केस-1: पनकी निवासी अनीता को सांस लेने में बेहद तकलीफ थी। उनके पति और रिश्तेदार हैलट की इमरजेंसी पहुंचे, लेकिन इलाज न मिलने की वजह से उनकी मौत गई। घरवाले रोते और गिड़गिड़ाते रहे।
- केस-2 : बर्रा आठ के ओम प्रकाश शुक्ला के सीने में तेज दर्द हुआ। स्वजन उन्हें लेकर हैलट आ गए। स्टाफ ने उन्हें बेड व ऑक्सीजन न होने की बात कही। घरवाले इधर उधर परेशान रहे, इस बीच मरीज ने दम तोड़ दिया।
- केस-3 : नवाबगंज की रहने वाली आशा देवी की सांस फूल रही थी। उनका बेटा आशीष उन्हें लेकर हैलट पहुंचा। घरवाले कुछ देर स्ट्रेचर और ऑक्सीजन के लिए चक्कर काटते रहे। आखिर में महिला की मौत हो गई।
- केस-4 : उर्सला में बिंदकी के गोपाल ङ्क्षसह को निजी एंबुलेंस से लाया गया। घरवालों ने उन्हें भर्ती करने की मिन्नतें की, लेकिन डॉक्टरों ने हैलट ले जाने को कहा। बुजुर्ग की कल्याणपुर के नर्सिंगहोम के बाहर मौत हो गई।
एक से दूसरे अस्पताल भेज टरकाया
श्याम नगर निवासी कमल सचान को सीने में अचानक दर्द हुआ। घरवाले हार्टअटैक की आशंका पर कार्डियोलॉजी संस्थान पहुंचे। डॉक्टरों ने हैलट भेज दिया। पत्नी अर्चना और बेटा उन्हें लेकर हैलट आए। डॉक्टर और अन्य स्टाफ ने कार्डियोलॉजी जाने के लिए कहा। काफी देर गिड़गिड़ाने के बाद निजी अस्पताल की ओर चले गए।
दूसरों की जान बचाने वाला अपने लिए रोया
एंबुलेंस सेवा 108 के स्टाफ जीतेंद्र के रिश्तेदार सजेती निवासी संतोष कुमार की पत्नी सुमन को सांस लेने में तकलीफ हुई। वह उन्हें लेकर हैलट पहुंचा। इमरजेंसी में ऑक्सीजन के छोटे सिलिंडर न होने की बात कही गई। जीतेंद्र ने स्टाफ से मिन्नतें की, पर कोई फायदा नहीं हुआ। आखिर में रोता हुआ मरीज को लेकर दूसरे अस्पताल चला गया।
पहले सीटी स्कैन कराकर लाओ
लालबंगला निवासी रिटायर्ड नगर निगम कर्मी राज कपूर को फालिस का अटैक पड़ गया था, उन्हें सांस लेने में कठिनाई हो रही थी। बेटे अरुण और अनंत उन्हें भर्ती कराने के लिए हैलट पहुंचे, लेकिन इलाज से पहले सीटी स्कैन कराने के लिए भेज दिया गया। वह सीटी स्कैन के लिए काफी देर से परेशान हुए।
इलाज मिलता तो बच जाते पति
रतनलाल नगर निवासी अजय को गंभीर हालत में लेकर पत्नी अनीता हैलट इमरजेंसी में पहुंची। उनका ऑक्सीजन का स्तर कम हो गया था। वह रोती रहीं और पति के इलाज के लिए कहती रहीं। घरवाले भी सिङ्क्षलडर का जुगाड़ करते रहे। इसी बीच अजय की मौत हो गई। अनीता के मुताबिक समय पर इलाज मिल जाता तो उनके पति की जान बच सकती थी।