जमीयत उलमा के प्रदेश अध्यक्ष शहरकाजी मौलाना उसामा की कोरोना से मौत, देवबंद ने भी जताया दुख
फतेहपुर में 7 मई 1967 को जन्म हुआ था कानपुर स्थित मदरसा जामे उलूम में तालीम हासिल करने के बाद उन्होंने देवबंद में आलिम की पढ़ाई की थी।
कानपुर, जेएनएन। शहरकाजी व जमीयत उलमा के प्रदेश अध्यक्ष 53 वर्षीय मौलाना मतीन उल हक उसामा कासमी की कोरोना से मौत हो गई। वह गुर्दे के संक्रमण, मधुमेह, थायराइड व निमोनिया सहित कई रोगों से पीडि़त थे। उनको एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जांच में उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। इलाज के दौरान दिल का दौरा पडऩे पर उन्हें शुक्रवार को हैलट के आइसीयू में रेफर कर दिया गया था। रात 2.30 बजे उन्होंने आखिरी सांस ली। कोविड-19 की गाइडलाइन का पालन करते हुए उनको जाजमऊ स्थित जामा मस्जिद अशरफाबाद के बाहर कब्रिस्तान में सुपुर्द ए खाक कर दिया गया।
शहरकाजी के इंतकाल की खबर सुनते ही देवबंद सहित पूरे देश के उलमा ने दुख जताया। शहरकाजी का जन्म 7 मई 1967 में फतेहपुर में हुआ था। कानपुर स्थित मदरसा जामे उलूम में तालीम हासिल करने के बाद वह आलिम की पढ़ाई के लिए देवबंद चले गए। वह कई मदरसों में शिक्षक रहे। बाद में मस्जिद अशरफाबाद में जामिया महमूदिया अशरफुल उलूम की स्थापना की। 28 जनवरी 2016 को शहरकाजी मुफ्ती मंजूर अहमद मजाहिरी ने अपना उत्तराधिकारी घोषित कर कार्यवाहक शहरकाजी बनाया। 4 अक्टूबर 2016 को वह जमीयत उलमा के प्रदेश अध्यक्ष चुने गए। मौलाना उसामा दीनी तालीम के साथ आधुनिक विषय व कंप्यूटर शिक्षा के पक्षधर थे। वह अपने पीछे पत्नी, चार बेटे व एक बेटी को छोड़ गए हैं।