ओमिक्रोन नहीं है डेल्टा जैसा खतरनाक, बचाव के लिए पढ़िए वरिष्ठ चिकित्सकों की खास सलाह
कोरोना के संक्रमण से बचाव व जागरूकता के लिए वरिष्ठ चिकित्सकों ने वेबिनार के जरिए संक्रमितों के इलाज पर मंथन किया और ओमिक्रोन से बचाव के लिए सुझाव साझा किए । सामान्य एहतियात बरतने पर जोर दिया ।
कानपुर, जागरण संवाददाता। कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रोन से घबराने की जरूरत नहीं है। देश-दुनिया में अब तक मिले संक्रमितों में किसी प्रकार के गंभीर लक्षण नहीं देखे गए हैं। यह डेल्टा वैरिएंट जैसा घातक नहीं है,फिर भी एहतियात बरतने की जरूरत है। शहर के वरिष्ठ चिकित्सकों की सलाह है कि गंभीर बीमारियों से पीडि़तों, बुजुर्ग व गर्भवती महिलाओं को मास्क लगाना एवं भीड़ भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचना बेहद जरूरी है। संक्रमण होने पर बिना डाक्टर के सलाह के दवाएं बिल्कुल न खाएं। दैनिक जागरण की पहल पर कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव व जागरूकता के लिए आयोजित वेबिनार में सुझाए उपायों पर अमल करके संक्रमण से बचा जा सकता है।
भेद नहीं पा रहा वैक्सीन का सुरक्षा कवच : डा. नंदिनी रस्तोगी
वरिष्ठ फिजीशियन एवं डायबटोलाजिस्ट डा. नंदिनी रस्तोगी का कहना है कि कोरोना के अन्य वैरिएंट की तुलना में ओमिक्रोन कम घातक है। यह बात दीगर है कि डेल्टा के मुकाबले 10 गुणा अधिक संक्रामक है। जनवरी 2021 से लेकर अब तक 85 प्रतिशत से अधिक का आंशिक और 50 प्रतिशत का पूर्ण वैक्सीनेशन हो चुका है। इसलिए ओमिक्रोन वैरिएंट वैक्सीन के सुरक्षा कवच को भेद नहीं पा रहा है। उन्होंने बताया कि अभी तक उन्होंने 250 से अधिक संक्रमितों का इलाज किया है, सिर्फ एक में ही गंभीर लक्षण मिले। अभी तक किसी को खून पतला करने की और एंटी वायरल दवा देने की जरूर नहीं पड़ी है।
दिल के मरीजों के लिए सर्दी भी घातक : डा. आरती लालचंदानी
जीएसवीएम मेडिकल कालेज की पूर्व प्राचार्य एवं वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ प्रो. आरती लालंचदानी का कहना है कि सर्दी का मौसम दिल के मरीजों के लिए घातक है। दिल के मरीजों को पहले से ही खून पतला करने की दवाएं चलती हैं। इसमें ध्यान यह रखना है कि कोरोना का संक्रमण होने के बाद उनका आक्सीजन लेवल 94 से नीचे न जाए। उन्हें पहले से सांस संबंधी कोई बीमारी न हो। अभी तक जो मरीज आए हैं, उन्हें न आइसीयू और न ही स्टेरायड थेरेपी देने की जरूरत पड़ी है। संक्रमितों के फेफड़े और दिल की धमनियों में खून के थक्के भी नहीं मिले। इसलिए अभी तक स्प्रीन और एंटीबायोटिक दवा चलाने की जरूर नहीं पड़ी।
आक्सीजन व आइसीयू की जरूर नहीं : प्रो. रिचा गिरि
मेडिकल कालेज की उप प्राचार्य एवं मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रो. रिचा गिरि का कहना है कि इस बार जो संक्रमित आए हैं उन्हें न आक्सीजन और न ही आइसीयू की जरूरत पड़ी। सामान्य स्थिति में पांच से सात दिन में स्वस्थ हो रहे हैं। अस्पताल में जो भी भर्ती हुए हैं, उन्हें पहले से किडनी, लीवर, अनियंत्रित मधुमेह, हाइपरटेंशन की समस्या रही है। इलाज के दौरान संक्रमण मिलने पर उन्हें कोविड हास्पिटल में भर्ती करना पड़ा। स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में प्रसव के लिए आईं गर्भवती में कोरोना का संक्रमण मिलने पर उन्हें भर्ती कर उनकी मानीटर करनी पड़ी। इसलिए यह कह सकते हैं कि संक्रमण के साथ गंभीर बीमारियों वाले मरीजों को दिक्कत ज्यादा हो रही है।
बच्चों में कोरोना के फ्लू जैसे ही लक्षण : प्रो. यशवंत राव
मेडिकल कालेज के बाल रोग विभागाध्यक्ष प्रो. यशवंत राव का कहना है कि बच्चों में कोरोना के संक्रमण पर फ्लू यानी मौसमी बुखार जैसे लक्षण मिल रहे हैं। तीन सप्ताह में 50-60 संक्रमित बच्चे इलाज के लिए आए हैं। उनमें बुखार, खांसी-जुकाम, गले में खराश थी। अभी तक किसी को एंटी वायरल दवा की जरूर नहीं पड़ी। सिर्फ एक बच्चे को भर्ती करना पड़ा। अगर बच्चे को तीन दिन तक बुखार न उतरे तभी कोरोना की जांच कराएं। इन लक्षणों के अलावा डायरिया व डीहाईड्रेशन होने पर तत्काल अस्पताल लेकर जाएं।
अफवाहों से बचें : यूनिवर्सिटी हेल्थ साइंस सेंटर के कोआर्डिनेटर डा. प्रवीन कटियार ने बताया कि ओमिक्रोन का संक्रमण फैलने के बाद से तरह-तरह की अफवाहें भी फैलने लगीं हैं। इसलिए बड़े-बुजुर्ग से लेकर बच्चों को संक्रमण होने पर घबराएं नहीं।
रैपिड एंटीजन जांच किट की बिक्री पर भी अंकुश : वेबिनार में मंथन के उपरांत यह भी सामने आया कि लोग बिना बताए रैपिड एंटीजन जांच किट खरीद कर कोरोना की जांच कर रहे हैं। इससे कोरोना संक्रमितों का वास्तविक आंकड़ा सामने नहीं आ पा रहा है। पाजिटिव रिपोर्ट आने के बाद चुप्पी मार कर बैठ जाते हैं। इसलिए इसपर अंकुश लगाया जाए। कहा गया कि साधारण सर्जिकल मास्क भी कारगर हैं।
इसका रखें ध्यान : मास्क जरूर लगाएं, सीधे दवाएं खरीद कर न खाएं, भीड़-भाड़ में जाने से बचें, कोरोना की वैक्सीन जरूर लगवाएं, घर आने पर साबुन-पानी से अच्छी तरह हाथ धोएं, कोरोना प्रोटोकाल का पालन करते हुए सुरक्षित रहें। वेबिनार में जिला प्रशासन से आग्रह किया गया कि वह डाक्टर की पर्ची के बिना केमिस्टों द्वारा मरीजों को दवाएं न देना सुनिश्चित कराए।