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डॉक्टरों और मरीजों के बीच पड़ा कोरोना का पर्दा, पहले नब्ज देखते थे अब लक्षणों के आधार पर देते हैं दवा

अब दूर से ही देखते हैं और उनकी परेशानी पूछते हैं। लक्षणों के आधार पर ही दवाइयां देते हैं। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की उप प्राचार्य एवं मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रो. रिचा गिरि का कहना है कि शुरुआती में सेमी इमरजेंसी ओपीडी शुरू की गई थी

By Akash DwivediEdited By: Published: Thu, 25 Mar 2021 11:08 AM (IST)Updated: Thu, 25 Mar 2021 12:43 PM (IST)
डॉक्टरों और मरीजों के बीच पड़ा कोरोना का पर्दा, पहले नब्ज देखते थे अब लक्षणों के आधार पर देते हैं दवा
संक्रमण ने डॉक्टर एवं मरीजों के बीच पर्दा डाल दिया

कानपुर, जेएनएन। कोरोना वायरस का संक्रमण साल भर से झेल रहे आमजन के जीवन में अहम बदलाव हुए हैं। कोरोना वायरस की दस्तक और उसके संक्रमण से बचाव के लिए शहर में सबकुछ थम सा गया था। शुरुआती दो माह बहुत ही कठिन रहे। उसके बाद सरकार के स्तर से धीरे-धीरे छूट मिलनी शुरू हुई। आवागमन बढ़ा और जीवन पटरी पर लौटने लगा। आमजन की सेहत की देखभाल का जिम्मा डॉक्टरों को एहतियात एवं सावधानी के साथ दिया गया। इस एक साल ने तमाम बदलाव किए, जिसमें मरीजों के परामर्श एवं देखने का तौर-तरीका भी बदला है। संक्रमण ने डॉक्टर एवं मरीजों के बीच पर्दा डाल दिया है।

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पहले जहां डॉक्टर मरीज की नब्ज टटोलते थे। अब दूर से ही देखते हैं और उनकी परेशानी पूछते हैं। लक्षणों के आधार पर ही दवाइयां देते हैं। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की उप प्राचार्य एवं मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रो. रिचा गिरि का कहना है कि शुरुआती में सेमी इमरजेंसी ओपीडी शुरू की गई थी। उसमें पहले उनकी कोरोना की जांच कराई जाती थी, रिपोर्ट निगेटिव आने पर ही उन्हेंं इलाज के लिए डॉक्टरों के पास भेजा जाता था। उसके बाद सितंबर से शासन ने जनरल ओपीडी शुरू कराई है, जिसमें मरीजों की संख्या भी निर्धारित कर दी है। साथ ही कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने का निर्देश भी दिया है। प्रो. रिचा ने बताया कि मेडिसिन विभाग, सर्जरी विभाग, आर्थोपेडिक विभाग में दो-दो ओपीडी चल रहीं हैं। प्रत्येक ओपीडी में 100-100 मरीज देखे जा रहे हैं। अब कौन कोरोना संक्रमित है और कौन नहीं, सभी तरह के मरीज आ रहे हैं। इस समय सामान्य खांसी-बुखार से लेकर बुजुर्ग, मधुमेह, हार्ट, लिवर और किडनी के मरीज, जो बुखार की शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं। इसलिए संक्रमण से बचाव के उपाए अपनाए जा रहे हैं।

एक साथ देख रहे तीन मरीज : डॉक्टरों, सीनियर रेजीडेंट (एसआर), जूनियर रेजीडेंट (जेआर) एवं इंटर्न को संक्रमण से बचाना प्राथमिकता है। इसलिए ओपीडी कक्ष में फैकल्टी, एसआर, जेआर, इंटर्न और मरीजों के बीच प्लास्टिक का ट्रांसप्लांट परदा लगाया गया है। एक तरफ डॉक्टर और दूसरी तरफ तीन स्टूल पर तीन मरीज बैठेते हैं। उनके पर्चे वार्ड ब्वॉय लेकर आता है। तीनों मरीजों से बारी-बारी से समस्या पूछकर लिखते हैं। हर पर्चे को छूने के बाद डॉक्टर हाथ सैनिटाइज करते हैं।

एहतियात से लेते बीपी : जरूरी होने पर इंटर्न पूरी सतर्कता के साथ मरीज का ब्लड प्रेशर नापते हैं। इस दौरान मरीज का मुंह इंटर्न के बैठने की विपरित दिशा में रहता है। इसी तरह चेस्ट की स्थित नापने के लिए स्टेथोस्कोप भी पीठ की तरफ से लगाते हैं।


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