कोरोना से जीते लेकिन वैक्सीनेशन में पिछड़े, टीकाकरण अभियान के पहले दिन सौ हेल्थ वर्कर में से सिर्फ 40 ही लगवाने आए टीका
इसके बावजूद डॉक्टर जूनियर डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ दिलेरी से डटा रहा और कोरोना को नियंत्रित करने में कायमाबी पाई। हालांकि शनिवार को जब वैक्सीनेशन की बारी आई तो हेल्थ वर्करों में उत्साह नहीं दिखा। खुद मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ने स्वयं वैक्सीन लगवाई
कानपुर, जेएनएन। कोरोना संक्रमितों के इलाज प्रबंधन में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज से संबद्ध हैलट अस्पताल के डॉक्टर व हेल्थ वर्कर वैक्सीनेशन में पिछड़ गए। पहले दिन 100 हेल्थ वर्कर में से सिर्फ 40 ने ही वैक्सीन लगवाई। इस आंकड़े से स्वास्थ्य महकमे के अधिकारी भी असंतुष्ट नजर आए। जिले में कोरोना संक्रमण का पहला केस 23 मार्च को मिला था। इसके बाद बड़ी संख्या में संक्रमित सामने आए थे। हैलट अस्पताल में बने लेवल-थ्री कोविड अस्पताल में आसपास के नौ जिलों के कोरोना संक्रमित गंभीर मरीजों का इलाज किया गया। एक समय संक्रमितों से बेड फुल हो जाने और प्रतिदिन आठ से दस मरीजों की मौत होने से हालात भयावह हो गए थे। इसके बावजूद डॉक्टर, जूनियर डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ दिलेरी से डटा रहा और कोरोना को नियंत्रित करने में कायमाबी पाई। हालांकि शनिवार को जब वैक्सीनेशन की बारी आई तो हेल्थ वर्करों में उत्साह नहीं दिखा। खुद मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ने स्वयं वैक्सीन लगवाई, लेकिन उसका असर नहीं दिखा। कुछ डॉक्टर पहुंचे भी, लेकिन सूची में नाम न होने से निराश लौटना पड़ा।
इनका ये है कहना
- पहले दिन सूची में डॉक्टरों के नाम कम थे। कोविड ड्यूटी के कर्मचारियों व डॉक्टर के नाम शामिल होने से भी दिक्कत हुई। इस समस्या का समाधान निकालने के लिए सीएमओ से बात की है, ताकि अगली बार ऐसे हालात न बनें। मेरा नाम भी पहली सूची में नहीं था, सीएमओ से आग्रह कर नाम जुड़वाया और हेल्थ वर्कर की हिम्मत बढ़ाने के लिए आगे आकर टीका भी लगवाया।
प्रो. आरबी कमल, प्राचार्य, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज
- जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में 6500 हेल्थ वर्कर का टीकाकरण होना है। इसके लिए 22 टीमें बनाने के निर्देश दिए थे। अगर यही हाल रहा तो यहां समय पर सभी को टीका नहीं लग सकेगा। हेल्थ वर्कर का उत्साहवर्धन करने की जरूरत है।
डॉ. अनिल मिश्रा, सीएमओ, कानपुर नगर