कांग्रेस विधायक और जिलाध्यक्ष चार घंटे न्यायिक हिरासत में रहे, फिर मिली अंतरिम जमानत
कानपुर में विशेष न्यायाधीश एमपीएमएलए कोर्ट में आत्मसमर्पण के लिए पहुंचे कांग्रेस विधायक और जिलाध्यक्ष को न्यायिक हिरासत में रखने के बाद अंतरिम जमानत मंजूर की गई। अब जमानत याचिका पर बहस के लिए 30 नवंबर की तारीख तय की गई है।
कानपुर, जागरण संवाददाता। कोविड संक्रमण के प्रोटोकाल की अनदेखी करते हुए पुतला फूंकने के एक मामले में मंगलवार को उत्तर जिलाध्यक्ष नौशाद आलम मंसूरी और विधायक सोहिल अख्तर अंसारी को चार घंटे न्यायिक हिरासत में रहना पड़ा। न्यायालय ने दोनों को अंतरिम जमानत पर रिहा किया। 30 नवंबर को जमानत अर्जी पर नियमित बहस होगी।
पेट्रोल कीमतों में बढ़ोतरी को लेकर कांग्रेस ने 29 जून 2020 को कोतवाली चौराहा पर धरना प्रदर्शन करते हुए पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का पुतला फूंका था।पुतला फूंकने के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं की पुलिस से धक्का मुक्की हुई थी। इस मामले में कोतवाली पुलिस के एसआइ शिवराज सिंह ने कोविड नियमों की अनदेखी करने, पुलिस से धक्का मुक्की व गाली गलौच करने के साथ ही सरकारी कार्य में बाधा डालने की तहरीर दी गई जिस पर कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया था।
वरिष्ठ अधिवक्ता नरेश चंद्र त्रिपाठी ने बताया कि इस मामले में विशेष न्यायाधीश एमपीएमएलए कोर्ट से विधायक व अन्य कांग्रेस कार्यकर्ताओं के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ था। इसी के चलते मंगलवार की दोपहर करीब 12 बजे विधायक, उत्तर जिलाध्यक्ष और कांग्रेस कार्यकर्ता मानेश दीक्षित ने कोर्ट में सरेंडर किया जहां शाम करीब चार बजे तीनों को अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया गया। एडीजीसी प्रदीप बाजपेयी ने बताया कि न्यायालय ने अंतरिम जमानत दी है। नियमित जमानत पर 30 नवंबर 2021 को पुन: बहस होगी।