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कानपुर में कोरोना के शिकंजे से निकल फिर चल पड़ा कलक्टरगंज बाजार, पर कुछ शर्तें अभी भी लागू

माल आने की रफ्तार बढ़ जाती है और रात भर माल की ढुलाई चलती रहती है। डेढ़ सौ वर्ष पहले घंटाघर के पास कलक्टरगंज बाजार की स्थापना हुई थी। 1865 से 1872 के बीच कानपुर के डीएम रहे विलियम स्टॄलग ने इस बाजार की स्थापना की थी।

By Akash DwivediEdited By: Published: Wed, 16 Jun 2021 05:15 PM (IST)Updated: Wed, 16 Jun 2021 05:15 PM (IST)
कानपुर में कोरोना के शिकंजे से निकल फिर चल पड़ा कलक्टरगंज बाजार, पर कुछ शर्तें अभी भी लागू
बाजार की रफ्तार सुरक्षा मानकों के साथ फिर से बढऩे लगी

कानपुर, जेएनएन। शहर के हृदय स्थल से सटे कलक्टरगंज बाजार का नाम लेते ही गल्ला, घी, गुड़ और रुई का कारोबार आंखों के सामने उभर आता है। आसपास के थोक बाजारों में सबसे पुराना होने की वजह से यहीं पर ट्रांसपोर्ट भी हैं जो इस क्षेत्र से आसपास के जिलों के लिए दिनभर होने वाली बिक्री के माल को दूसरे शहरों में पहुंचाते हैं। ट्रकों के पहिए खुद बताते हैं कि बाजार की रफ्तार कितनी तेज हो रही है और इस समय कलक्टरगंज क्षेत्र के ट्रांसपोर्टर बहुत व्यस्त हैं। शाम होते ही यहां ट्रांसपोर्ट में माल आने की रफ्तार बढ़ जाती है और रात भर माल की ढुलाई चलती रहती है। डेढ़ सौ वर्ष पहले घंटाघर के पास कलक्टरगंज बाजार की स्थापना हुई थी। 1865 से 1872 के बीच कानपुर के डीएम रहे विलियम स्टॄलग ने इस बाजार की स्थापना की थी। पिछले एक वर्ष में कोरोना की वजह से बाजार में बिक्री की रफ्तार को ब्रेक लगा, लेकिन अब कफ्र्यू खत्म होने के बाद बाजार की रफ्तार सुरक्षा मानकों के साथ फिर से बढऩे लगी है।

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ये अपनाए जा रहे सुरक्षा मानक : कलक्टरगंज के व्यापारी कोरोना से बचाव के लिए दुकानों व आढ़तों को नियमित रूप सैनिटाइज करा रहे हैं। इसके अलावा ग्राहकों को सैनिटाइज किया जाता है। दुकान में प्रवेश से पहले थर्मल स्क्रीनिंग से शरीर का तापमान मापा जा रहा है। यह थोक बाजार है और व्यापारियों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र से जो फुटकर कारोबारी माल खरीदने आते हैं, वे सुरक्षा मानकों के प्रति लापरवाह रहते हैं। उन्हेंं मास्क के लिए अक्सर टोकना पड़ता है।

आसपास इन जिलों में जाता है माल : कलक्टरगंज से फर्रुखाबाद, कन्नौज, फतेहपुर, इटावा, रायबरेली, औरैया, उन्नाव जिलों में माल जाता है। वहीं बरेली, दिल्ली, हरियाणा से चावल, नौबस्ता गल्ला मंडी से दाल आती है।

व्यापारियों ने कही ये बात

  • दूसरी लहर के बाद व्यापारी समझ चुके हैं कि अपनी और अपने स्टाफ की सुरक्षा पर ध्यान देना सबसे ज्यादा जरूरी है। इसलिए दुकानदार सुरक्षा मानक अपना रहे हैं। -आशीष मिश्रा, चावल व्यापारी
  • दिल्ली में कफ्र्यू खत्म होने से फायदा हुआ है। खटाई की बिक्री तेज हो गई है। यहां से वहां खटाई काफी ज्यादा जाती है। कारोबारियों की आवक बढ़ते ही सुरक्षा कड़ी की गई है। -राजेंद्र शुक्ला, खटाई व्यापारी
  • पिछले वर्ष कोरोना के बाद से बाजार बढऩा शुरू हुआ था कि कोरोना कफ्र्यू लग गया। अब बाजार खुल गया है और सभी बाजार एक साथ खुल रहे हैं, इसका लाभ सभी कारोबारियों को मिल रहा है। -अरविंद चतुर्वेदी, रुई व्यापारी
  • बीच में माल की आवक काफी कम हो गई थी। अब जबसे कफ्र्यू खुला है तब से माल की आवक तेज हुई है। कस्बों और ग्रामीण क्षेत्र में तो लगातार मांग बनी रही। -राजीव गुप्ता, ट्रासंपोर्टर
  • कोरोना से बचाव के लिए दुकान में अंदर आने से पहले व्यापारी का तापमान मापा जाता है। मुझे भी कोरोना हो चुका है, इसलिए सुरक्षा का मतलब अच्छी तरह जानता हूं। -अंकित गुप्ता, थोक विक्रेता देशी घी
  • कोरोना कफ्र्यू में दुकान बंद रही, लेकिन कर्मचारियों को तो वेतन देना ही होता है। जब छूट मिली है तो व्यापार पटरी पर आना शुरू हो गया है। -शलभ गुप्ता, मसाला व्यापारी

    कानपुर किसकी कितनी दुकानें

  • गल्ला : 500
  • गुड़ : 20
  • घी : 13
  • तेल : 15
  • रुई : 09
  • बारदाना : 50
  • ट्रांसपोर्टर : 35
  • मोबिल आयल : 20
  • धनिया, सौंफ, मेथी : 25
  • जीरा : 02
  • मूंगफली : 25
  • चाय पत्ती : 10
  • किराना स्टोर :10 

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