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बढ़ते वाहनों के धुएं ने शहर को बना दिया हानिकारक गैसों का चैंबर

कानपुर एक बार फिर वायु गुणवत्ता सूचकांक में देश का सबसे प्रदूषित शहर बन गया है।एनओटू और एसओटू स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक हैं।

By Edited By: Published: Mon, 19 Nov 2018 01:20 AM (IST)Updated: Tue, 20 Nov 2018 10:54 AM (IST)
बढ़ते वाहनों के धुएं ने शहर को बना दिया हानिकारक गैसों का चैंबर
बढ़ते वाहनों के धुएं ने शहर को बना दिया हानिकारक गैसों का चैंबर
कानपुर [जागरण स्पेशल]। वाहनों के बढ़ रहे दबाव से शहर हानिकारक गैसों का चैंबर बन रहा है, जहां सांस लेना मुश्किल है। कानपुर एक बार फिर वायु गुणवत्ता सूचकांक में देश का सबसे प्रदूषित शहर बन गया है। पर्टिकुलेट मैटर 2.5 खतरे के निशान से पार हो गया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के नेहरू नगर स्थित मॉनीट¨रग स्टेशन की रिपोर्ट के मुताबिक पर्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5 और 10) का ही स्तर सिर्फ नहीं बढ़ रहा है, बढ़ते दूसरे खतरों की भी भयावह तस्वीर है। 
लगभग 48 लाख आबादी के बीच वाले शहर में करीब 16 लाख वाहनों के भार ने जटिल स्थिति पैदा कर दी है। जारी रिपोर्ट में यहां सल्फर डाइऑक्साइड (एसओटू) और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (एनओटू) के साथ ही ओजोन गैस का घनत्व भी खतरनाक स्तर पर मिला है। रिपोर्ट के आंकड़े बयां कर रहे हैं कि शाम चार बजे के बाद से शहर में वाहनों के रेले से एसओटू और एनओटू लगातार बढ़ना शुरू होता है और रात आठ बजे तक खतरनाक स्तर पर पहुंच रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक अन्य दिनों की तुलना में रविवार को जरूर एसओटू की मात्रा कम पाई गई है। दिन की बात करें तो ओजोन गैस में वृद्धि इस समय ज्यादा पाई गई। ये तीनों ही गैसें स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक हैं। 
शहर के अनुसार पीएम 2.5 मात्रा की स्थिति
कानपुर में 373, लखनऊ में 349, मुजफ्फरनगर में 344, बागपत में 343, हापुड़ में 342, नोएडा में 336, गाजियाबाद में 335, तलचर में 334, बुलंदशहर में 329, वाराणसी में 326 और पटना में 315 है। यह मात्रा माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर में है।
शाम ढलते ही बढ़ रहा एनओटू और एसओटू 
शहर में शाम ढलते ही चार से नौ बजे तक एनओटू और एसओटू की मात्रा बढ़ जाती है। शनिवार को सवा चार बजे समय एनओटू 82.20 और एसओटू 12.80 रहा। वहीं सवा पांच बजे एनओटू 126.60 व एसओटू 12.00, सवा छह बजे एनओटू 185.90 व एसओटू 34.60 रहा। सवा सात बजे एनओटू 216.80 व एसओटू 243.20 रहा और सवा आठ बजे एनओटू 187.80 व एसओटू 237.30 रहा था। इसी तरह रविवार को पौने चार बजे एनओटू 81.70 रहा व एसओटू 9.40 रहा। पौने पांच बजे एनओटू 147.70 व एसओटू 18.10 रहा। पौने छह बजे एनओटू 208.00 व एसओटू 36.60, पौने सात बजे एनओटू 227.40व एसओटू 33.80 था। पौने आठ बजे एनओटू 203.40 व एसओटू 24.30 तथा रात पौने नौ बजे एनओटू 202.30 व एसओटू 30.40 दर्ज किया गया। इसके साथ शाम के समय ओजोन गैस की मात्रा भी बढ़ जाती है।
स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है गैसें
मुरारी लाल चेस्ट हॉस्पिटल के वरिष्ठ चेस्ट रोग विशेषज्ञ प्रो. सुधीर चौधरी के मुताबिक पर्टिकुलेट मैटर की तरह ही एनओटू, एसओटू और ओजोन गैस काफी खतरनाक हैं। एनओटू- काफी घुलनशील गैस होती है। पेट्रोल, डीजल चलित वाहनों के उत्सर्जन, पेपर उद्योग, रेफ्रिजरेटर प्लांट्स से होती है। सांस की नली में सूजन, आंखों में जलन की समस्या होती है। यह फेफड़ों के लिए काफी खतरनाक है। 
एसओटू : वाहनों के इंजन से निकलता है। कोयला जलाने से भी पैदा होता है। वेंडिंग, केमिकल उद्योग से भी उत्सर्जित हो रहा है। सांस की छोटी नलियों में संक्रमण। ध्यान न देने पर आइएलडी एस की दिक्कत हो सकती है।
ओजोन गैस : ऑटोमोबाइल और कई तरह के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से पैदा होती है। फेफड़ों के लिए हानिकारक है। तेजी से सांस लेने पर खतरनाक है। खेलने से बचा जाए।

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