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'रेनेरा' आसान करेगा रिहायश की राह, कानपुर से होगी शुरुआत

डॉ.भीमराव आंबेडकर इंस्टीट्यूट फॉर हैंडीकैप्ड के छात्रों ने बनाया एप, दूसरे शहरों में पढ़ने के लिए जाने वाले छात्र एजेंट के चक्कर में नहीं फंसेंगे

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Nov 2018 01:37 AM (IST)Updated: Mon, 19 Nov 2018 01:37 AM (IST)
'रेनेरा' आसान करेगा रिहायश की राह, कानपुर से होगी शुरुआत
'रेनेरा' आसान करेगा रिहायश की राह, कानपुर से होगी शुरुआत

जागरण संवाददाता, कानपुर : किसी दूसरे शहर में प्रवेश मिलने के बाद छात्रों के सामने सबसे बड़ी चुनौती वहां रिहायश तलाशने की होती है। कालेज में छात्रावास न मिलने वह कमरे की तलाश में ब्रोकर के पास जाते हैं और वह उनसे मनमाने रुपये वसूलता है। इसी का हल तलाशते हुए डॉ.भीमराव आंबेडकर इंस्टीट्यूट फॉर हैंडीकैप्ड के इलेक्ट्रॉनिक इंजीनिय¨रग बीटेक तृतीय वर्ष के छात्र रूपेश रंजन व एचबीटीयू के पेंट टेक्नोलॉजी द्वितीय वर्ष के छात्र अंजनी बसेड़िया व मैकेनिकल इंजीनिय¨रग के छात्र हर्ष यादव ने मिलकर (ह्मद्गठ्ठद्गह्मड्ड) रेनेरा एप तैयार किया है। यह उस क्षेत्र में छात्रों को रिहायश देगा जहां से उनका कॉलेज पास है या जहां वह रहना चाहते हैं। इसकी शुरुआत शहर से होगी, बाद में देश भर में इसका दायरा बढ़ाने की योजना है।

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इस एप को बनाने में इन तीनों छात्रों को एक साल का समय लगा। कालेज की प्रयोगशाला में अनुसंधान करके इसका परीक्षण किया। रूपेश रंजन ने बताया कि इस एप में अलग अलग शहरों के सभी क्षेत्रों में कमरों की तलाश की जा सकेगी। इसके अंतर्गत मकान मालिक से छह महीने से लेकर एक साल की लीज पर कमरे किराए पर लिए जाएंगे और उनकी लोकेशन व किराया ऑनलाइन अपलोड किया जाएगा। कानपुर में ही 50 से अधिक तकनीकी व प्रबंधन शिक्षण संस्थान हैं जिनमें हजारों छात्र अध्ययनरत हैं। इसके अलावा बीटेक, एमबीए, एमसीए, पीसीएस व आइएएस की कोचिंग का भी यह एक बड़ा केंद्र है। दूर से यहां आकर छात्र तैयारी करते हैं। उस दौरान उन्हें रिहायश की जरूरत होती है।

दूसरे व तीसरे स्तर के शहरों में छात्र ऑनलाइन देख सकेंगे मकान

छात्र रूपेश ने बताया कि यह पहला ऐसा एप है जो कानपुर, लखनऊ, आगरा, जयपुर व नागपुर जैसे दूसरे स्तर के शहरों में रहने वाले छात्रों को ऑनलाइन मकान दिखाएगा। इसकी शुरुआत कानपुर से होगी, बाद में अन्य शहरों का ब्योरा जोड़ते जाएंगे। स्मार्ट सिटी में ऐसी सुविधा जरूर है लेकिन वह फ्लैट में डील करती है जो बहुत महंगे होते हैं। यह एप छात्रों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। इस एप के जरिए छात्र अपने लिए आवास बुक करके अपनी रिहायश की राह आसान कर सकेंगे। इस स्टार्टअप को बाजार में लांच करने की तैयारी कर रहे हैं।

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इनसे मिलेगी राहत

- किराए का कमरा दिलाने वाले एजेंट से

- अजनबी शहर में मकान मालिक की तलाश करने से

- आपातकालीन स्थिति में मुंहमांगा किराया देने से

- शिक्षण संस्थान के सामने घर तलाशने से

- अधिक बजट वाले मकान में मजबूरन रहने से


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