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चावल और मिट्टी का तेल डकार रहे कोटेदार

जागरण संवाददाता, कानपुर : आपूर्ति विभाग के अफसरों की लापरवाही से सार्वजनिक वितरण प्रणाली भ

By JagranEdited By: Published: Mon, 05 Feb 2018 10:08 PM (IST)Updated: Mon, 05 Feb 2018 10:08 PM (IST)
चावल और मिट्टी का तेल डकार रहे कोटेदार
चावल और मिट्टी का तेल डकार रहे कोटेदार

जागरण संवाददाता, कानपुर : आपूर्ति विभाग के अफसरों की लापरवाही से सार्वजनिक वितरण प्रणाली भ्रष्टाचार की शिकार हो गई है। कोटेदार सिर्फ गेहूं ही नहीं बल्कि चावल और मिट्टी का तेल भी खुले बाजार में बेच रहे हैं। आवश्यक खाद्य एवं वस्तु अधिनियम की धारा 3/7 में गिरफ्तारी का प्रावधान नहीं है, इसलिए भी कोटेदार बेखौफ हैं। जब भी कहीं कालाबाजारी पकड़ी जाती है तो सिर्फ कोटेदारों पर ही कार्रवाई होती है। एआरओ और खाद्य अधिकारी बच जाते हैं। यही वजह है कि गरीबों के हिस्से का राशन खुले बाजार में बिक रहा है।

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किस कोटेदार का राशन, पता नहीं

गुरुवार को कृष्णा नगर स्थित फ्लोर मिल में 662 बोरा गेहूं पकड़ा गया था। पांच दिन पूरे हो गए पर यह पता नहीं चल सका है कि यह गेहूं किन कोटेदारों के यहां जा रहा था। अफसर सिर्फ जांच की बात कहकर खामोश हो गए हैं। जबकि मुरे कंपनी पुल स्थित विपणन विभाग के अभिलेखों की पड़ताल में आसानी से खेल पकड़ा जा सकता है।

इन्होंने बेचा गेहूं और चावल

- फीलखाना की कोटेदार मुन्नी देवी के यहां 25.20 क्विंटल गेहूं और 24.15 क्विंटल चावल व एक हजार 40 लीटर मिट्टी का तेल कालाबाजारी की भेंट चढ़ गया था।

- कर्नलगंज स्थित श्री सिंह कोटेदार के यहां 12 क्विंटल गेहूं और चावल घोटाले की भेंट चढ़ा।

- हूलागंज के रितेश कुमार ने भी 21.57 क्विंटल गेहूं, 14.38 क्विंटल चावल और 654 लीटर मिट्टी का तेल खुले बाजार में बेचा।

- कृष्णा नगर के आर्यन ने 154 बोरा गेहूं व 107 बोरा चावल व 1127 लीटर मिट्टी के तेल बेचा।

' विभाग सिर्फ आवश्यक खाद्य एवं वस्तु अधिनियम के तहत ही मुकदमा दर्ज कर सकता है। हरसंभव कार्रवाई की जाती है।' - अभिनव सिंह, जिला आपूर्ति अधिकारी

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सर्वर डाउन होने का बहाना

कोटेदार सर्वर डाउन होने, अंगुली का निशान न लग पाने का बहाना बनाते हैं और लोगों को राशन नहीं देते। पीओएस मशीन तभी अंगुली का निशान लेगी जब सर्वर होगा। कोटेदार बार- बार दौड़ाते हैं, इसलिए उपभोक्ता नहीं आते और फिर उनके हिस्से का राशन बेच दिया जाता है। माह के अंत में 28 से 31 के बीच उन्हें भी राशन देना है जिनके पास आधार कार्ड नहीं है। ऐसे में वे ऐसे लोगों के हिस्से का राशन भी डकार लेते हैं।


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