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Children Physical Abuse Case:दो साल सीबीआइ के सर्विलांस पर रहा रामभवन, जानें कैसे हुआ मामले पर ये राजफाश

हर गतिविधि की लगातार मॉनीटरिंग कर तोड़ा गया विशेष कोडिंग का जाल। डार्कवेब का आतंकी भी करते इस्तेमाल खुफिया एजेंसियां होतीं फेल।आॅनलाइन मानीटरिंग के लिए गठित सीबीआइ दिल्ली की विशेष यूनिट ने गहन छानबीन के बाद आरोपित जूनियर इंजीनियर को मंगलवार को बांदा से गिरफ्तार किया था।

By ShaswatgEdited By: Published: Fri, 20 Nov 2020 09:54 AM (IST)Updated: Fri, 20 Nov 2020 09:54 AM (IST)
Children Physical Abuse Case:दो साल सीबीआइ के सर्विलांस पर रहा रामभवन, जानें कैसे हुआ मामले पर ये राजफाश
ऐसे आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों को अक्सर खुफिया एजेंसियां भी फेल साबित होती हैं।

बांदा, [शैलेंद्र शर्मा]। जरायम की काली दुनिया के बड़े हथियार डार्कवेब पर बच्चों के यौन शोषण का जाल फैलाए सिंचाई विभाग के निलंबित जूनियर इंजीनियर रामभवन तक पहुंचने में सीबीआइ की विशेष टीम को दो साल लगे। उसके मोबाइल फोन और लैपटॉप की प्रत्येक गतिविधि सर्विलांस पर रही। लगातार मानीटरिंग कर विशेष कोडिंग से उसका जाल काटा जा सका। अभी कई और राजफाश होंगे। डार्कवेब का इस्तेमाल आतंकियों के साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपराध करने वाले अंडरवल्र्ड के लोग भी करते हैं। इसे पकडऩे में अक्सर खुफिया एजेंसियां भी फेल साबित होती हैं। 

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ऐसे सामने आया सच 

दिल्ली से आए सीबीआइ के अधिवक्ता अशोक कुमार सिंह की ओर से गुरुवार को अदालत में बचाव पक्ष की आपत्ति पर दाखिल किए गए जवाब से ये सच सामने आया है। उन्होंने बताया कि आरोपित निलंबित जेई रामभवन की हर गतिविधि दो साल से निगाह में थी। देश में डार्कवेब के माध्यम से लगातार बच्चों के यौन शोषण के बढ़ते मामलों को लेकर सीबीआइ की विशेष टीम सक्रिय थी। इसके बाद ही उसकी गिरफ्तारी हुई है। इसीलिए सीबीआइ अब उसके माध्यम से नेटवर्क के दूसरे स्रोतों तक पहुंचने के लिए रिमांड चाहती है। 

सोर्स के आधार पर मुकदमा दर्ज करने का अधिकार

सीबीआइ दिल्ली की विशेष यूनिट को बच्चों के यौन शोषण व आइटी एक्ट से जुड़े मामलों में जांच के दौरान मिले सोर्स के आधार पर मुकदमा दर्ज कराने का अधिकार है। इसके लिए किसी वादी की जरूरत नहीं है। यही वजह रही कि आरोपित  रामभवन के मामले में खुद सीबीआइ ने मुकदमा दर्ज किया।

क्या है डार्कवेब

विशेषज्ञ बताते हैं कि डार्कवेब पर्सनल ई-मेल के जरिए काम करता है। डार्कवेब पूरे इंटरनेट का 80 फीसद हिस्सा बताया जाता है, जिसे गूगल या किसी दूसरे सर्च इंजन से नहीं पकड़ा जा सकता है। यही वजह है कि अंडरवल्र्ड अपनी काली दुनिया का ज्यादातर संचालन इसके माध्यम से करता है। हथियारों की खरीद-फरोख्त, अश्लील साहित्य, हवाला के जरिए रुपयों के लेनदेन, मादक पदार्थ की तस्करी, आतंकी गतिविधियां इससे संचालित होती हैं। इसके माध्यम से हैकिंग के एक्सपर्ट अवैध गतिविधियों को अंजाम देते हैं। मानीटरिंग के लिए देश की खुफिया एजेंसियां अपना सिस्टम इस्तेमाल कर गुनहगारों को पकड़ती हैं। 

यह था मामला

चित्रकूट में सिंचाई विभाग में तैनात आरोपित निलंबित जूनियर इंजीनियर (जेई) रामभवन 10 वर्षों से बच्चों का यौन शोषण करने के साथ ही उनके अश्लील वीडियो बनाकर बेच रहा था। आरोपित ने 50 से अधिक बच्चों को अपना निशाना बनाया।  सीबीआइ दिल्ली की विशेष यूनिट (आनलाइन चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूस एंड एक्स्प्लॉयटेशन प्रिवेंशन एंड इन्वेस्टीगेशन) ने गहन छानबीन के बाद  आरोपित जूनियर इंजीनियर को मंगलवार को बांदा से गिरफ्तार किया था। उसके चित्रकूट स्थित आवास से करीब आठ लाख रुपये, एक दर्जन मोबाइल फोन, वेब कैमरा, लैपटाप, पेन ड्राइव, मेमोरी कार्ड व अन्य इलेक्ट्राॅनिक उपकरण बरामद किए गए थे। मामला संज्ञान में आने पर जेई राम भवन को निलंबित किया जा चुका है। गुरुवार को उसकी तीसरी बार अदालत में पेशी हुई।  


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