चित्रकूट जेल में मारे गए बदमाशों के नाम से अपराधी भी जाते थे कांप, जनिए- अंशु, मेराज और मुकीम का आपराधिक इतिहास
Chitrakoot Jail Firing चित्रकूट जेल में मारे गए तीन अपराधियों में एक मुख्तार अंसारी गैंक का शॉर्प शूटर था तो दूसरा मुन्ना बजरंगी का दाहिना हाथ रहा था। तीसरा दुर्दांत अपराधी वसीम काला का सगा भाई था जिसका गैंग हरियाणा और पंजाब तक फैला था।
कानपुर, जेएनएन। कहते अपराध और अपराधी का अंत बुरा ही होता है। कभी जरायम का पर्याय रहे और न जाने कितने निर्दोष लोगों को गोली मारकर मौत की नींद सुलाने वाले यूपी के तीन शातिर अापराधियों का अंत भी गोली ने ही कर दिया। चित्रकूट की जेल में बंद शातिर अपराधियों के बीच गैंगवार हो गया, जिसमें दो और तीसरा पुलिस की गोली से मारा गया। मारे गए तीनों अपराधी यूपी में कभी दहशत का दूसरा नाम रहे अंशु दीक्षित, मेराज अली और मुकीम काला थे। आपको बताते हैं कि तीनों ने अपनी जरायम की दुनिया से किस कदर दहशत बना रखी थी। इसमें एक मुख्तार अंसारी का शॉर्प शूटर था तो दूसरा मुन्ना बजरंगी का दाहिना हाथ रहा था। तीसरा दुर्दांत अपराधी वसीम काला का भाई था।
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मारे गए अपराधियों का इतिहास
अंशु दीक्षित : सीतापुर के रहने वाला अंशु दीक्षित जरायम की दुनिया में कदम रखने के बाद पूर्वांचल के माफिया मुख्तार अंसारी का खास व शार्प शूटर बन गया था। 27 अक्टूबर 2013 को उसने मुठभेड़ में मप्र और उप्र एसटीएफ पर भी गोलियां बरसाई थीं। इसके बाद दिसंबर 2014 में उसे गिरफ्तार कर लिया गया था और करीब दो साल पहले सुरक्षा के मद्देनजर चित्रकूट जेल में शिफ्ट कर दिया गया था। वह पूर्वांचल के माफियाओं का खास चहेता था और सुपारी लेकर हत्या की वारदातों को अंजाम देता था। लखनऊ डीआरएम दफ़्तर के सामने रेलवे टेंडर को लेकर दो हत्या करके वह चर्चा में आया था। लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र नेता विनोद तिवारी की हत्या में वह मुख्य आरोपी था। लखनऊ में एनआरएचएम घोटाला में सीएमओ हत्याकांड में भी अंशु संदिग्ध था।
मेराज अली : वाराणसी का रहने वाला मेराज अली पूर्वांचल का शातिर बदमाश था और माफिया गैंग का खास सदस्य माना जाता था। अपराध की दुनिया में रखते ही उसने मुन्ना बजरंगी के लिए काम किया। इसके बाद मुन्ना बजरंगी का गैंग छोड़कर वह मुख्तार अंसारी के साथ जुड़ गया था। उसके गैंग में आ जाने के बाद अंशु दीक्षित से पटरी नहीं खाती थी। सूत्रों की मानें तो गिरफ्तारी से पहले भी दोनों के बीच कई बार टकराव हो चुका था, जिसे शांत करा दिया गया था। संभव है चित्रकूट जेल में हुई वारदात की वजह भी यही रंजिश बन गई हो।
मुकीम काला : पश्चिमी यूपी के दुर्दांत अपराधी वसीम काला के नाम से लोग ही नहीं अपराधी भी कांप जाते थे। मुकीम काला इसी वसीम काला का भाई था। छह साल पहले तक मकान में राजमिस्त्री का काम करने वाला मुकीम भाई के साथ जरायम की दुनिया में उतर आया था। पश्चिम यूपी के अलावा पंजाब और हरियाणा तक उसका जरायम का साम्राज्य फैला था।
दोनों भाई मिलकर गैंग चलाते थे, उनपर तीन राज्यों में लूट, डकैती, हत्या और मुठभेड़ के कई मामले दर्ज हैं। दो साल के अंदर गिरोह ने सहारनपुर में वर्ष 2015 में तनिष्क ज्वैलरी शोरूम में डकैती कांड को अंजाम देने के अलावा दर्जनों लूट, हत्या की वारदातें की थीं। इसके साथ ही रंगदारी वसूलने का धंधा भी शुरू कर दिया था। एसटीएफ के हाथों में मुठभेड़ में वसीम काला के मारे जाने के बाद मुकीम ने गैंग संभाल लिया था। मुकीम काला के गैंग में बीस से ज्यादा शातिर शूटर और बदमाश शामिल थे। मुकीम काला पर करीब 61 मुकदमे दर्ज हैं।