Move to Jagran APP

चित्रकूट में तेंदू पत्ता तुड़ान पर कोरोना की काली छाया, लग सकता करोड़ों रुपयों का झटका

मई का पहला सप्ताह गुजर गया लेकिन तुड़ान नहीं शुरू हुई है। हालांकि वन निगम मौसम को जिम्मेदार बता रहा है जबकि हकीकत में गैर जिलों से आने वाले कर्मचारी अधिकारी व मजदूर अभी तक नहीं पहुंचे हैं। कहीं पर फड़ का इंतजाम भी नहीं हुआ है।

By Akash DwivediEdited By: Published: Sat, 08 May 2021 08:05 PM (IST)Updated: Sat, 08 May 2021 08:05 PM (IST)
चित्रकूट में तेंदू पत्ता तुड़ान पर कोरोना की काली छाया, लग सकता करोड़ों रुपयों का झटका
दो दर्जन अफसर और कर्मचारी नहीं आए हैं

चित्रकूट, जेएनएन। पाठा के जंगलों में पैदा होने वाले तेंदू पत्ता की तुड़ान पर इस साल कोरोना संक्रमण की काली छाया पड़ गई है। मई का पहला सप्ताह गुजर गया, लेकिन तुड़ान नहीं शुरू हुई है। हालांकि, वन निगम मौसम को जिम्मेदार बता रहा है, जबकि हकीकत में गैर जिलों से आने वाले कर्मचारी, अधिकारी व मजदूर अभी तक नहीं पहुंचे हैं। कहीं पर फड़ का इंतजाम भी नहीं हुआ है। इससे वन निगम को करोड़ों का झटका लग सकता है। यहां से बिहार, बंगाल और मध्यप्रदेश तक तेंदू पत्ता की आपूर्ति होती है, जहां ये बीड़ी बनाने में काम आता है।

loksabha election banner

जून तक होती है तुड़ान : तेंदूपत्ता की तुड़ान एक मई से पांच जून के बीच होती है। जिले में अभी कोरोना की दूसरी लहर पीक में है। प्रतिदिन 200 अधिक कोरोना संक्रमित मिल रहे हैं। सबसे अधिक मामले मानिकपुर क्षेत्र के गांवों में मिल रहे हैं। अधिकांश जंगली इलाके मानिकुपर में ही हैं, जहां तेंदूपत्ता का उत्पादन सबसे ज्यादा होता है। कोरोना के खतरे को देखते हुए अधिकारी व कर्मचारी ग्रामीणों के बीच काम नहीं करना चाहते हैं। इसीलिए दूसरे जिलों लखीमपुर, गोंडा, बहराइच, गोरखपुर आदि से आने वाले दो दर्जन अफसर और कर्मचारी नहीं आए हैं। प्रशिक्षण का समय भी बीत चुका है। इसमें करीब 50 हजार मजदूरों को काम मिलता है।

45 हजार मानक बोरा का शासन से लक्ष्य : शासन से इस साल 45 हजार मानक बोरा (प्रति बोरा एक हजार गड्डी) का लक्ष्य वन निगम को मिला है, जिसे पूरा करने में मुश्किलें तय हैं। एक गड्डी में 50 तेंदू पत्ता होते हैं। पिछले साल भी कोरोना था, लेकिन गांवों तक नहीं फैला था। इसके बावजूद सिर्फ 24 हजार मानक बोरा की तुड़ान हो सकी थी। इस साल गांवों में भी कोरोना संक्रमण फैला है।

इनका ये है कहना

  • कोरोना का असर है, लेकिन जंगल में अच्छी आक्सीजन मिलती है, जिससे तुड़ान में मजदूरों को कोई खास दिक्कत नहीं होगी। निगम तुड़ान की तैयारी में जुटा है। अभी तक नहीं आए अफसरों व कर्मियों से संपर्क किया जा रहा है। फिलहाल, बदली और बूंदाबांदी के कारण देरी हो रही है। गर्म हवा चलने पर बेहतर ढंग से तुड़ान होगी।

                                                                           पीएन त्रिवेदी, प्रभागीय लौंगिग प्रबंधक, वन निगम।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.