Child Vaccine Trail Kanpur: आम जन ने नहीं दिए तो डॉक्टरों ने अपने बच्चों को ही बनाया वालेंटियर
कोविड की संभावित तीसरी लहर को देखते हुए इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च और भारत बायोटेक इंटरनेशनल ने बच्चों के लिए कोरोना की स्वदेसी कोवैक्सीन तैयार की है जिसका ट्रायल कानपुर के आर्य नगर स्थित प्रखर हास्पिटल में चल रहा है।
कानपुर, जेएनएन। कोरोना महामारी की पहली और दूसरी लहर में फ्रंटलाइन वर्कर यानी हमारे डाक्टर जान जोखिम में डालकर वायरस से सीधे मोर्चा संभाले रहे। ताकि हम-आप, हमारे स्वजन और रिश्ते-नातेदारों की जान बच सके। अब कोरोना की तीसरी लहर के आने की संभावना है, जिसमें बच्चे सर्वाधिक प्रभावित हो सकते हैं। इसके लिए वैक्सीन लाने की तैयारी है। दूसरे फेज का ट्रायल देश के छह स्थानों में चल रहा है। जहां आमजन अपने बच्चों को वालेंटियर्स बनाने में हिचक रहे हैं। अब फिर से डाक्टर जिम्मेदारी समझते हुए अपने बच्चों पर वैक्सीन का ट्रायल करा रहे हैं ताकि बच्चों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए वैक्सीन आ सके।
इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) और भारत बायोटेक इंटरनेशनल ने मिलकर बच्चों के लिए कोरोना की स्वदेसी कोवैक्सीन तैयार की है। वैक्सीन के दूसरे फेज का ट्रायल ड्रग कंट्रोलर जनरल आफ इंडिया (डीजीसीआइ) से अनुमति के बाद कानपुर समेत देश के छह स्थानों में शुरू किया है। वैक्सीन तीन उम्र वर्ग के बच्चों, 2-6 वर्ष, 6-12 वर्ष और 12-18 वर्ष को लगाई जा रही है। दूसरे फेज के ट्रायल में 450 बच्चों को कोवैक्सीन की दो डोज लगानी है, एक पहली और दूसरी 28 दिन बाद। शहर के सेंटर में 50 बच्चों पर ट्रायल होना है।
25 में 15 डाक्टरों के बच्चे
शहर के आर्य नगर स्थित प्रखर हास्पिटल में मंगलवार से लेकर गुरुवार तक 25 बच्चों को वैक्सीन लगाई गई है। जब आमजन अपने बच्चों को लेकर स्कीनिंग के लिए नहीं आए तो समस्या खड़ी होने लगी। ऐसे में जब डॉक्टरों को समस्या बताई गई तो उन्होंने अपनी जिम्मेदारी संभाली। कुछ बड़े डाक्टर जो पहले जीएसवीएम मेडिकल कालेज से जुड़े रहे हैं। अपने नाती और पौत्र को उनके माता-पिता की अनुमति के बाद वैक्सीन के ट्रायल के लिए लेकर आए। कुछ पैथलाजिस्ट, आर्थोपेडिक सर्जन, फिजीशियन स्वयं अपने बच्चों को लेकर पहुंच गए। इनमें 15 बच्चे ट्रायल के लिए फिट मिले।
- बच्चों के वैक्सीन ट्रायल में अब तक 25 वालंटियर्स को वैक्सीन लगाई गई है। उसमें से 15 वालंटियर्स हमारे डाक्टरों के बच्चे हैं। इनमेंं 6-12 वर्ष और 12-18 वर्ष की आयुवर्ग के बच्चे हैं। -प्रो. जेएस कुशवाहा, चीफ गाइड, वैक्सीन ट्रायल, प्रखर हास्पिटल।