गन्ने की खोई से बनेंगे कुर्सी, मेज व दरवाजे, पानी का भी नहीं होगा असर Kanpur News
राष्ट्रीय शर्करा संस्थान ने पार्टिकल बोर्ड बनाने में पाई सफलता लकड़ी की अपेक्षा 15 से 20 फीसद सस्ते भी होंगे।
कानपुर, जेएनएन। कुर्सी, मेज व दरवाजे बनाने के लिए अब पेड़ों को काटने की जरूरत नहीं होगी। पेड़ों की लकड़ी से मजबूत व 24 घंटे तक पानी की मार झेलने वाला फर्नीचर अब गन्ने की खोई से तैयार किया जा सकेगा।
राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएसआइ) ने गन्ने की खोई से पार्टिकल बोर्ड बनाने में सफलता प्राप्त कर ली है। ढाई टन खोई से 8/4 फिट व 17 मिमी मोटे 20 पार्टिकल बोर्ड बनाए जा सकते हैं। इन्हीं से फर्नीचर का निर्माण किया जाएगा। शुक्रवार को एनएसआइ निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन के निर्देश में खोई से फर्नीचर बनाने को लेकर परिसर में कार्यशाला हुई। कार्यशाला में प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया कि गन्ने की पेराई से प्रतिवर्ष नौ सौ लाख टन खोई निकलती है। बिजली बनाने में इसका इस्तेमाल किए जाने के बाद भी 45 लाख टन यह बच जाती है। इसी खोई का इस्तेमाल फर्नीचर इंडस्ट्री के क्षेत्र में किया जा सकता है। इसके दो लाभ होंगे। पहला पेड़ों की कटाई नहीं होगी और दूसरा यह वर्तमान में बनने वाले फर्नीचर की अपेक्षा 15 से 20 फीसद सस्ता भी होगा। खोई से पार्टिकल बोर्ड बनाने में संस्थान ने सफलता प्राप्त कर ली है।
इससे निर्मित पार्टिकल बोर्ड की 24 घंटे तक पानी में डूबे रहने के बाद भी उसकी गुणवत्ता प्रभावित नहीं होगी। संस्थान के शुगर टेक्नोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डी स्वेन ने बताया कि फर्नीचर उद्योग में वुड पैनल के बढ़ते उपयोग के कारण नए कच्चे पदार्थों की मांग बढ़ी है। गन्ना पेराई से निकलने वाली खोई से पार्टिकल बोर्ड बनाकर यह जरूरत पूरी की जा सकती है। बड़ी मात्रा में पार्टिकल बोर्ड बनकर फर्नीचर में इसका इस्तेमाल किए जाने को लेकर एनएसआइ जल्द ही कंपनियों से करार करेगा। कई कंपनियों ने करार के लिए कदम भी बढ़ा दिए हैं।