कानपुर की सीटीआइ नहर में कूड़ा फेंकने पर रोक लगाने के प्रयास विफल, एक लाख के CCTV बने शोपीस
नहर में छह किमी तक जाल लगाने की योजना थी लेकिन कोरोना संकट के कारण अब तक बजट नहीं मिल पा रहा। अभियंताओं का दावा है कि सबसे ज्यादा कूड़ा आसपास के लोग फेंकते हैं। कई बार जागरूक किया गया।
कानपुर, जेएनएन। सीटीआइ नहर में लोगों द्वारा कूड़ा न डाला जाए इसके लिए सिंचाई विभाग ने जाल व सीसीटीवी फुटेज की व्यवस्था कराई थी, लेकिन इसके बाद भी शहर के लोग कूड़ा डालने से बाज नहीं आ रहे हैं। जिसके कारण नहर के अंदर लगा जाल उखड़ गया और गंदगी भी पसरी हुई है। इसमें खास बात यह है कि सालभर बीतने के बाद भी सिंचाई विभाग एक व्यक्ति की भी पहचान नहीं कर पाया है।
सालभर पहले नहर को साफ रखने के लिए सिंचाई विभाग ने दो लाख रुपये खर्च कर नहर के अंदर जाल व बाहर जाल के साथ एक सीसीटीवी कैमरा भी लगवाया था। इसका उद्देश्य था कि नहर में फेंकी जाने वाली गंदगी आगे न बढ़ सके व गंदगी फेंकने वालों की पहचान की जा सके। इसके साथ ही नहर के बगल में ही चेतावनी बोर्ड भी लगाया गया था। नहर में छह किमी तक जाल लगाने की योजना थी, लेकिन कोरोना संकट के कारण अब तक बजट नहीं मिल पा रहा। अभियंताओं का दावा है कि सबसे ज्यादा कूड़ा आसपास के लोग फेंकते हैं। कई बार जागरूक किया गया, लेकिन कोई भी नियमों का पालन करने को तैयार नहीं है। अब कैमरे में फुटेज खंगाल कर उनकी पहचान कर उन पर जुर्माना लगाया जाएगा। एक लाख रुपये से लगे कैमरे सिर्फ शोपीस बनकर कर रह गए हैं। सहायक अभियंता का एके राव का कहना है कि कैमरा नहर में कूड़ा डालने वालों के लिए डर पैदा करने के लिए लगवाया गया था।