कैंसर मरीजों को सता रहा इलाज न मिलने का डर, अस्पताल में कहीं फिर न कर्मी कर दें काम बंद
जेके कैंसर संस्थान में संविदा कर्मियों ने पिछले दिनों मानदेय के विवाद में काम ठप कर दिया था। इसके बाद से उनके दोबारा काम बंद करने की आशंका के चलते कैंसर मरीजों के तीमारदारों को भी चिंता सता रही है।
कानपुर, जेएनएन। पिछले दिनों संविदा कर्मचारियों के अचानक काम ठप कर देने से जेके कैंसर अस्पताल में मरीजों को बिना रेडियोथेरेपी के लौटना पड़ा था। हालांकि संविदा कर्मचारियों को वन टाइम मानदेय देकर काम सुचारु करा दिया गया था। इसके बाद भी मरीज आशंकित हैं कि संविदा कर्मचारी कहीं फिर से काम ठप न कर दें।
कर्मचारियों के मुताबिक प्रशासन व संस्थान को नियमित रूप से वेतन दिए जाने की योजना बनानी चाहिए। ऐसा नहीं होने पर फिर से काम ठप हो सकता है। उन्हें कई महीनों से मानदेय नहीं मिल रहा था, जिस पर उन्होंने काम ठप किया था। दूसरे शहरों से आकर रेडियोथेरेपी कराने वाले शकील, सुरेंद्र, फिरोज व राजकुमार को डर है कि कहीं फिर से कर्मचारी काम बंद न कर दें। उनके ऐसा करने से मरीजों का जीवन खतरे मे पड़ सकता है।
जेके कैंसर संस्थान के निदेशक प्रो. एसएन प्रसाद ने कहा कि संस्थान के ज्यादातर कर्मचारी संविदा एजेंसी के जरिए काम कर रहे हैं। एजेंसी के नामित होने की प्रक्रिया शासन में अटकी है, जिसके कारण उनके मानदेय की समस्या हुई थी।
उपचार में लापरवाही खतरनाक : संस्थान और कर्मचारियों की आपसी खींचतान में मरीजों का क्या दोष जो उन्हें बिना इलाज लौटना पड़ा। संस्थान के निदेशक से लेकर जिम्मेदारों को पता होना चाहिए कि कैंसर में रेडियोथेरेपी का नियमित रूप से होना बेहद जरूरी होता है।