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CAA Protest Kanpur: एक साल पहले हैलट से भागे थे तीन उपद्रवी, आज तक नहीं नहीं हो पाई शिनाख्त

गोली लगने से घायल 12 में से तीन हो गए थे मौका पाकर रफूचक्कर। तमाम कोशिशों के बाद भी आज तक नहीं हुई शिनाख्त। गोपनीयता कारणों से उनके नाम सार्वजनिक नहीं किए गए थे। दावा किया गया था।

By ShaswatgEdited By: Published: Sun, 20 Dec 2020 06:55 PM (IST)Updated: Sun, 20 Dec 2020 06:55 PM (IST)
CAA Protest Kanpur: एक साल पहले हैलट से भागे थे तीन उपद्रवी, आज तक नहीं नहीं हो पाई शिनाख्त
पुलिस ने हिंसा में घायलों को उपद्रवी माना था।

कानपुर, जेएनएन। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर पिछले साल 20 दिसंबर को बाबूपुरवा में हुई हिंसा को लेकर पुलिस की जांच की रफ्तार  सवालों के घेरे में है। साल भर गुजर जाने के बाद भी पुलिस उन तीन घायलों का पता नहीं लगा सकी जिन्हें गोली लगी थी और हैलट में उपचार के बाद वह फरार हो गए थे। 

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बाबूपुरवा में 20 दिसंबर को सैंकड़ों की संख्या में प्रदर्शनकारी सड़क पर उतर आए थे। आगजनी और पथराव के बीच हुए जमकर बवाल के बाद पुलिस को गोली चलानी पड़ी थी, जिसमें तीन प्रदर्शनकारियों मोहम्मद सैफ, आफताब आलम और रईस खान की गोली लगने से मौत हो गई थी। जबकि मो. फैज, मो. शान, कामिल, अली मोहम्मद, मो. अकील, मो. जमील, मो. कासिम, मो. शादाब, मो. फैजान और मो.आवेश गोली लगने से घायल हो गए थे। घायल अवस्था में पुलिस इन्हें लेकर हैलट अस्पताल पहुंची थी। सभी का इमरजेंसी वार्ड में प्राथमिक उपचार हुआ। तत्कालीन एडीजी प्रेम प्रकाश ने स्वीकार किया था कि इनमें से तीन उपद्रवी मौका पाकर हैलट इमरजेंसी से फरार हो गए थे। गोपनीयता कारणों से उनके नाम सार्वजनिक नहीं किए गए थे। दावा किया गया था हैलट में लगे सीसीटीवी कैमरों की मदद से उनके चेहरे पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, मगर साल साल भर बाद भी पुलिस पता नहीं लगा सकी कि हैलट में गोली लगने से घायल हुए तीनों उपद्रवी आखिर कौन थे। 

घायलों को पुलिस ने माना था उपद्रवी 

पुलिस ने हिंसा में घायलों को उपद्रवी माना था। जांच के बाद पुलिस ने दावा किया था कि घायल उपद्रव के दौरान एक दूसरे की गोली का शिकार हुए थे। पुलिस की गोली से कोई भी घायल नहीं हुआ था। 

क्या बाहरी तत्व थे तीनों फरार ?

गोली लगने से घायल हुए फरार तीनों आरोपित क्या बाहरी तत्व थे। साल भर बाद भी उनकी शिनाख्त न होने से यही सवाल खड़ा हो रहा है। बवाल के बाद हुई जांच में पुलिस ने दावा किया था कि हिंसा प्रायोजित थी और इसके लिए दिल्ली, लखनऊ व  अन्य स्थानों से पीएफआइ, सीमि आदि से जुड़े सदस्यों को कानपुर बुलाया गया था। घायल उपद्रवियों का  पता न चलने पर साबित हो रहा है कि हिंसा में बाहरी तत्व शामिल थे। 

इनका ये है कहना 

गोली लगने से घायल उपद्रवियों का पता नहीं चल सका है। अभी भी पुलिस उनका सुराग लगाने में जुटी है। - राजकुमार अग्रवाल, एसपी पूर्वी 


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