आयात और निर्यात में सावधानी बरतें कारोबारी
जागरण संवाददाता, कानपुर : आयातकों और निर्यातकों को कारोबार के दौरान खास सावधानी बरतनी चाहिए। माल जाए
जागरण संवाददाता, कानपुर : आयातकों और निर्यातकों को कारोबार के दौरान खास सावधानी बरतनी चाहिए। माल जाए तो पैसा आए और पैसा जाए तो माल भी आए। ये सुझाव रिजर्व बैंक के अधिकारियों ने फॉरेन एक्सचेंज के दुरुपयोग के मुद्दे पर आयातकों और निर्यातकों के साथ हुई बैठक में दिए।
रिजर्व बैंक में हुई बैठक में अधिकारियों ने बताया कि चाहे माल मंगा रहे हों या भेज रहे हों बिल ऑफ इंट्री पूरी होनी चाहिए। इसलिए माल जाने पर भुगतान आए और भुगतान जाने पर माल आए। अगर बिल ऑफ इंट्री पूरी नहीं होती तो संदेह पैदा होता है। कई बार कारोबारी सावधानी नहीं बरतते इसकी वजह से आगे समस्या पैदा होती है। बैठक में शहर में एफडीआइ का काफी धन आने पर सावधानी बरतने को कहा।
थर्ड पार्टी पेमेंट भी अब स्वीकार नहीं है। थर्ड पार्टी पेमेंट का मतलब यह है कि माल किसी को भेजा जा रहा है और भुगतान किसी और से लिया जा रहा है। ऐसी प्रक्रिया बताती है कि कहीं गोलमाल है। मर्केटाइज एक्सपोर्ट में उन्होंने सभी कागजात पूरे करने के लिए कहा। उनके अनुसार इस तरह के निर्यात में भारत में बैठा कारोबारी किसी दूसरे देश से माल किसी तीसरे देश में भेजता है। इसमें कागज में अक्सर गड़बड़ी हो जाती है। उन्होंने कहा कि किसी भी तरह गलत डील न करें। कुछ कारोबारी स्टार कैटेगरी में न होने के बाद भी सीधे कागजात भेज देते हैं। निर्यात बिल का भुगतान क्लीयरेंस दो वर्ष तक न मिलने पर उस निर्यातक को कॉसन लिस्ट में डाल दिया जाता है।
रिजर्व बैंक, विदेशी मुद्रा विभाग द्वारा आयोजित त्रैमासिक ग्राहक सेवा बैठक में कारोबारियों ने भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि पिछले वर्षो में निर्यात किए गए बिलों के समायोजन के लिए बैंक निर्यातकों से दस्तावेज मांग रहे हैं। इससे निर्यातक मुश्किल में हैं। इस पर रिजर्व बैंक को राहत देनी चाहिए। इसके अलावा पहले एक लाख डॉलर तक के बिल आफ इंट्री बैंक नहीं मांगते थे। इसलिए आयातक उस पर ध्यान नहीं देते थे। अब बैंक इन्हें मांग रहे हैं जिससे मुश्किल हो रही है।
बैठक की अध्यक्षता रिजर्व बैंक की उप महाप्रबंधक वर्षा ने की। इस मौके पर रिजर्व बैंक के एजीएम पी सिंह, मर्चेट चैंबर के सचिव एमएम मोदी, कारोबारी प्रेम मनोहर गुप्ता आदि रहे।