Business News Kanpur: हार्डवेयर उद्योग पर महंगाई के बादल, कारोबारियों के सामने छाया संकट
कानपुर की 40 इकाइयों में सालाना सवा सौ करोड़ का कारोबार होता चला आ रहा है। अब कच्चा माल महंगा होने से हार्डवेयर उद्योग बंद होने लगे हैं वहीं उद्यमियों के सामने पुराने आर्डर पूरा करना बड़ी चुनौती साबित हो रहा है।
कानपुर, जेएनएन। कोरोना की दूसरी लहर में हार्डवेयर उद्योग बंद होने लगे हैं। कच्चा माल दोगुना महंगा होने के कारण मंदी से जूझ रहा उद्योग अब संभल नहीं पा रहा। शहर के कई आयरन, रोलिंग व स्टील उद्यमी अपनी औद्योगिक इकाइयों में ताला लगाकर बैठे हुए हैं। शहर में 40 से अधिक हार्डवेयर की इकाइयों में सवा सौ करोड़ का सालाना कारोबार होता है।
उद्यमियों को जहां एक ओर आर्डर मिलना बंद हो गए हैं तो पुराने आर्डर पूरा करने के लिए उन्हें कच्चा माल बहुत महंगा मिल रहा है। ऐसे में एंगल, दरवाजे, हैंडपंप, ग्रिल व लोहे की चादर बनाने वाले कई उद्योग बंद हो गए हैं। उद्यमी बताते हैं कि बड़े उद्योग तो जैसे तैसे चल रहे हैं, पर सीमित पूंजी के कारण सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग दम तोड़ रहे हैं।
कई हार्डवेयर उद्यमियों के लिए गर्मी के दिनों में कूलर का उद्योग आमदनी का बड़ा जरिया होता था, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर ने इस बार कूलर उद्योग को बड़ा झटका दिया है। रेलवे, डिफेंस, हैंडपंप व लोहे के निर्माण कार्य के सरकारी ऑर्डर भी नहीं मिले हैं। प्राइवेट सेक्टर की हालत तो और भी पतली है, जिससे आमदनी पूरी तरह बंद हो गई है।
हार्डवेयर उद्योग के लिए आवश्यक कच्चे माल के दाम दोगुने से अधिक हो गए हैं। साल भर में चार बार से अधिक इसकी कीमत बढ़ी है। माल बिक नहीं रहा है। ऐसे में बिजली व दूसरे टैक्स देने पड़ रहे हैं इसलिए उद्योग बंद कर दिया है। -पुनीत गुप्ता, नटबोल्ट व आयरन शीट उद्यमी
अभी कच्चे माल के रेट और बढऩे की आशंका है। काम पूरी तरह बंद पड़ा हुआ है। कोरोना महामारी ने हार्डवेयर उद्योग को बंदी के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है। सरकारी ऑर्डर मिलने तो दूर की बात बाजार में हार्डवेयर का कोई काम नहीं है। -अजय गुप्ता, डिफेंस व रेलवे के उत्पाद बनाने वाले उद्यमी
उद्योग किसी तरह खींच खींच कर चला रहे हैं। बाजार न खुलने से सप्लाई चेन बंद है। जो पुराना माल सप्लाई किया गया था उसका पेमेंट भी नहीं मिल रहा है। कच्चे माल के दाम इतने बढ़ गए हैं कि उद्योग चलाने की हिम्मत नहीं हो रही है। -अमन घई, नटबोल्ट व साइकिल पार्ट बनाने वाले उद्यमी
सरकार को हार्डवेयर इंडस्ट्री के बारे में गंभीरता से विचार करना चाहिए। एक बार दाम बढ़ जाएं तो उद्यमी उसके लिए तैयार रहते हैं, लेकिन बार-बार दाम बढऩे से न तो वह नया उत्पादन कर पा रहे हैं और न ही पुरानी पेमेंट ही मिल पा रही है। -हरेंद्र मूरजानी, अध्यक्ष लघु उद्योग भारती
पहले और अब के दाम में अंतर
धातु : पहले-अब
लोहा : 40-90
जिंक : 200-300
कॉपर : 400-600
स्टेनलेस स्टील : 100-200
(भाव रुपये प्रतिकिलो में हैं)