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चित्रकूट: कुख्यात डकैत बलखडिय़ा के मददगार को पांच साल की कैद, कभी पाठा जंगलों में थी नाम की दहशत

सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता सुशील सिंह ने बताया कि 12 दिसंबर 2012 को कर्वी कोतवाली पुलिस ने कोलगदहिया के धोबिनपुरवा मोड़ से सुरेश पुत्र श्यामलाल पटेल निवासी खांच थाना बहिलपुरवा को पकड़ा था। वह डकैत बलखडिय़ा को खाद्य सामग्री देने जा रहा था।

By Shaswat GuptaEdited By: Published: Sat, 18 Sep 2021 08:01 PM (IST)Updated: Sat, 18 Sep 2021 08:01 PM (IST)
चित्रकूट: कुख्यात डकैत बलखडिय़ा के मददगार को पांच साल की कैद, कभी पाठा जंगलों में थी नाम की दहशत
डकैत बलखड़िया की खबर से संबंधित सांकेतिक फोटाे।

चित्रकूट, जेएनएन। मुठभेड़ में मारे गए छह लाख के इनामी डकैत सुदेश पटेल उर्फ बलखडिय़ा को रसद सामग्री पहुंचने वाले को अदालत ने दोषी माना है। नौ साल पहले पकड़े गए आरोपित को  विशेष न्यायाधीश दीपनारायण तिवारी की स्पेशल एंटी डकैती कोर्ट ने पांच साल सश्रम कारावास और पांच हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। फिलहाल आरोपित जमानत पर था, उसे न्यायिक हिरासत में लेकर जिला जेल भेज दिया गया है। 

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सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता सुशील ङ्क्षसह ने बताया कि 12 दिसंबर 2012 को कर्वी कोतवाली पुलिस ने कोलगदहिया के धोबिनपुरवा मोड़ से सुरेश पुत्र श्यामलाल पटेल निवासी खांच थाना बहिलपुरवा को पकड़ा था। वह डकैत बलखडिय़ा को खाद्य सामग्री देने जा रहा था। पुलिस ने आरोपित पकड़कर जेल भेज दिया था लेकिन 21 दिन बाद उसको जमानत मिल गई थी। न्यायालय में दाखिल आरोपपत्र के आधार पर मुकदमा चल रहा था जिसमें शनिवार को फैसला सुनाया गया। कोतवाली प्रभारी वीरेंद्र त्रिपाठी व पैरोकार मुख्य आरक्षी बाबूलाल ने गवाहों की पेशी कराई। साक्ष्यों के आधार पर सुरेश पटेल को दोषी करार दिया गया। 

कौन था बलखड़िया : सर के बाल खड़े होने की वजह डकैत सुदेश कुमार पटेल को बलखड़िया कहा जाता था। उसकी बहादुरी से खुश हो कर ददुआ ने उसे 375 बोर की राइनफल दी थी। उस पर 90 से अधिक हत्या, अपहरण व लूट के मामले दर्ज थे। वर्ष 2008 में ठोकिया के मरे जाने के पांच साल बाद बलखड़िया पर भी पांच लाख का इनामी हो गया था। मप्र पुलिस की ओर से पहले ही इस पर डेढ़ लाख का ही इनाम घोषित किए थी। कुख्यात डकैत बलखड़िया पुलिस के लिए बड़ी चुनौती हो गया था। 2 जुलाई 15 को मारकुंडी थाना के कोलान में डकैत बलखड़िया गैंग की पुलिस के साथ मुठभेड़ हुई थी। जिसमें बलखड़िया को गोली तो लगी थी। इलाज न होने की वजह से बलखड़िया की मौत हो गई और गैंग ने उसका दाह संस्कार भी कर दिया।


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