Vikas Dubey News: थानों में धरी रहीं बुलेटप्रूफ जैकेट और मुठभेड़ में शहीद हो गए जवान
बिकरू में दो जुलाई की रात दबिश देने गई टीम के पास एक भी जैकेट नहीं थी जबकि चौबेपुर बिठूर व शिवराजपुर थानों में वर्षों से रखी 20 जैकेट का आजतक इस्तेमाल नहीं किया गया है।
कानपुर, [चंद्रप्रकाश गुप्ता]। पुलिस पर हमलों को लेकर बुलेटप्रूफ जैकेट, बॉडी प्रोटेक्शन किट और दंगा नियंत्रण उपकरण थानों पर उपलब्ध कराए गए हैं, लेकिन उन्हें पहनने की फुर्सत किसी के पास नहीं है। बिकरू कांड में सीओ समेत आठ पुलिस कर्मियों की शहादत में भी सुरक्षा उपकरणों की कमी हर एक के जेहन में खटक रही है। इसीलिए अब अफसरों ने भविष्य में किसी भी अपराधी को पकडऩे के लिए दबिश के दौरान प्रत्येक पुलिसकर्मी को सुरक्षा उपकरण पहनने की सख्त हिदायत दी है।
वर्ष 2009-10 में शासन की ओर से जिले को 454 बुलेटप्रूफ जैकेट मिली थीं, जिन्हें थानेवार भेजा भी गया था। चौबेपुर, शिवराजपुर व बिठूर थानों में भी करीब 20 जैकेट हैं, लेकिन पुलिस कर्मियों ने इनका इस्तेमाल नहीं किया। दो जुलाई की रात बिकरू गांव में दुर्दांत अपराधी विकास दुबे को पकडऩे के लिए जाने के दौरान भी कुछ ऐसा ही हुआ। तीनों थानों की पुलिस टीम में किसी ने भी बुलेटप्रूफ जैकेट नहीं पहनी थी। यहां तक कि तत्कालीन सीओ बिना जैकेट पहने पहुंचे थे। बॉडी प्रोटेक्शन किट थीं, लेकिन वह भी थाना प्रभारियों के वाहनों में ही पड़ी रहीं। महज तीन-चार जवानों के ही बॉडी प्रोटेक्टर पहनने की बात सामने आई है। शायद यही वजह रही कि हमलावरों की गोलीबारी में आठ जवान शहीद हो गए।
तीनों थानों और जिले में जैकेटें
चौबेपुर : 08
शिवराजपुर : 05
बिठूर थाना : 07
पूरे जिले में : 454
- रेंज के सभी जिलों में पुलिस अफसरों को आदेश दिए गए हैं कि कहीं भी दबिश या हमले की आशंका वाली जगह पर जाते समय सुरक्षा उपकरण का इस्तेमाल जरूर करें। सभी जिलों के थानों में बॉडी प्रोटेक्टर, बुलेटप्रूफ जैकेट, हेलमेट, ड्रैगन लाइट उपलब्ध हैं। इनका सतर्कता से इस्तेमाल करने को कहा गया है। -मोहित अग्रवाल, आइजी रेंज।