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World Blood Donor Day: रक्त दान से कोरोना भी नतमस्तक, संकल्प सेवा समिति दे रही नवजीवन

कानपुर शहर में संकल्प सेवा समिति के सदस्य थैलीसिमिया पीडि़त बच्चों की मदद के लिए दिन-रात अग्रसर रहते हैं। कोरोना संक्रमण काल में सैकड़ों परिवारों को रक्तदान करके नया जीवन भी दे चुके हैं। दोस्तों को प्रोत्साहित कर इस अभियान को बढ़ा रहे हैं।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Mon, 14 Jun 2021 09:58 AM (IST)Updated: Mon, 14 Jun 2021 05:43 PM (IST)
World Blood Donor Day: रक्त दान से कोरोना भी नतमस्तक, संकल्प सेवा समिति दे रही नवजीवन
रक्तदान से बचाएं जान और सुधारें सेहत।

कानपुर, [अंकुश शुक्ल]। रक्तदान से न सिर्फ किसी की जान बचती है बल्कि सेहत भी सुधरती है। रक्तदान करने वालों पर कोरोना भी हावी नहीं हो सका, वहीं कई गंभीर बीमारियों से बचाव के साथ बीपी और कोलेस्ट्राल की समस्या नहीं होती है। शहर में कई ब्लड डोनर समूह रक्त देकर दूसरों की जान बचा रहे हैं। संक्रमण के दौर में दूसरों की जान बचाने का जज्बा दिखाकर कई जिंदगियों को सुरक्षित रखने का जिम्मा संकल्प सेवा समिति के सदस्यों ने उठाया है।

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रक्तदानियों के आगे कोरोना नतमस्तक

नियमित अंतराल पर रक्तदान करने वाले रक्तदानियों के आगे कोरोना भी नतमस्तक हो गया। पहले तो उन्हें कोरोना का संक्रमण नहीं हुआ। अगर कोरोना की चपेट में आए तो भी गंभीर असर नहीं दिखाई पड़ा। नियमित रक्तदान से शरीर में ताजा रक्त बना रहता है। जो हमारे शरीर की कोशिकाओं को मजबूती प्रदान करता है और हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।

यह भी जानें

- रक्तदान करने से किसी प्रकार की कमजोरी नहीं आती।

- रक्तदान आपके ब्रेन को और भी मजबूत करता है।

- एक यूनिट रक्त से चार व्यक्तियों की बचा सकते जान।

थैलीसिमिया पीड़ित बच्चों के लिए काम कर रहा समूह

शहर में रक्तदान शिविर नहीं लग पाने के कारण ब्लड बैंकों में खून की कमी को देखते हुए संकल्प सेवा समिति के सदस्य आगे आए। रविवार को शिविर लगाकर 51 यूनिट रक्त थैलीसिमिया पीडि़त बच्चों के लिए जुटाया। समिति के प्रमुख संतोष सिंह चौहान 46 बार जरूरतमंदों को रक्त दे चुके हैं। जबकि गुमटी में रहने वाले तरनजीत सिंह 27 वर्ष पहले कार्डियोलाजी में भर्ती बच्चे की मदद को गए थे। तब से वे लगातार अभियान से जुड़े हैं। संस्था के पदाधिकारियों के मुताबिक वे करीब सौ से ज्यादा बार रक्त दे चुके हैं। युवाओं की टीम में हर्ष सिंह कसेरा और आकांक्षा तिवारी अपने-अपने दोस्तों को इसके लिए प्रोत्साहित कर इस अभियान को बढ़ा रहे हैं।

इस तरह करते मदद

Case-1 : उन्नाव निवासी शालिनी की डायलिसिस होनी थी। पीडि़त परिवार के फोन आने पर संतोष सिंह ने स्वयं और डोनर के साथ जाकर एबी ब्लड ग्रुप की व्यवस्था की।

Case-2 : हैलट में भर्ती आठ दिन के बच्चे को ओ निगेटिव ब्लड की जरूरत थी। पूरे शहर में रक्त नहीं मिलने पर डोनर भेजकर बच्चे के जीवन को सुरक्षित किया।

जरूरतमंद के लिए बनाया रिकार्ड बैंक

समिति द्वारा रक्तदान करने वाले युवाओं के ब्लड ग्रुप का रिकार्ड सुरक्षित रखा जाता है। जरूरतमंद परिवारों के फोन आने पर उन्हें ब्लड बैंक से रक्त दिलाया जाता है। रेयर ब्लड ग्रुप होने पर संस्था रिकार्ड बैंक से संबंधित ग्रुप का डोनर तलाश कर उनकी मदद करती है। समिति से जुड़े परिवार नियमित अंतराल के बाद लगने वाले शिविर में सपरिवार शामिल होकर रक्तदान करते हैं।

थैलीसिमिया पीडि़त बच्चों के जीवन को बचाने में जुटी युवा टोली

रक्त की कमी से सबसे ज्यादा प्रभावित थैलीसिमिया से पीडि़त बच्चे होते हैं। ब्लड बैंकों में कई ग्रुपों का रक्त खत्म हो जाने के बाद समिति में शामिल युवाओं की टोली इस कमी को दूर करने में जुट जाती है। समिति ने पांच थैलीसिमिया पीडि़त बच्चों को आजीवन गोद लेकर रक्त देने का संकल्प भी लिया है।


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