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कानपुर में छह हुई ब्लैक फंगस के पीड़ितों की संख्या, हैलट अस्पताल में दुआओं के सहारे मरीज

हैलट अस्पताल में इंजेक्शन न मिलने से ब्लैक फंगस के मरीजों का बुरा हाल है। एंटी फंगल इंजेक्शन ही नहीं होने से इलाज करने वाले डॉक्टर भी खुद को लाचार मान रहे हैं। सिर्फ एंटीबायोटिक दवाइयां ही चलाई जा रही हैं।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Wed, 19 May 2021 12:49 PM (IST)Updated: Wed, 19 May 2021 12:49 PM (IST)
कानपुर शहर में बढ़ता रहा ब्लैक फंगस का खतरा।

कानपुर, जेएनएन। शहर में भी धीरे धीरे ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। बीते चौबीस घंटों में एक और महिला में ब्लैक फंगस के लक्षण मिलने के बाद अब संख्या छह पहुंच गई है। वहीं हैलट में भर्ती ब्लैक फंगस के पीडि़त एवं लक्षण वाले मरीजों का बुरा हाल है। इंजेक्शन न मिलने से डॉक्टर भी बेहतर इलाज को लेकर संशकित हैं।

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कानपुर शहर में अभी तक जांच में एक युवक में संक्रमण की पुष्टि हुई है, जबकि एक महिला की बायोप्सी की रिपोर्ट का इंतजार है। ब्लैक फंगस के लक्षण के तीन मरीज पहले से भर्ती थे, जबकि देर शाम एक 50 वर्षीय महिला भर्ती हुई है, जिससे संख्या छह हो गई है। इनका इलाज करने वाले डॉक्टर भी लाचार हैं, उनका कहना है कि एंटी फंगल इंजेक्शन ही नहीं है। ऐसे में उन मरीजों को सिर्फ दुआ का ही सहारा है।

नेहरू नगर निवासी 30 वर्षीय हर्ष गौतम में ब्लैक फंगस की पुष्टि हो चुकी है। उसकी आंखें पूरी तरह से प्रभावित हो चुकी हैं। अस्पताल में एंटी फंगल इंजेक्शन न होने की वजह से एंटीबायोटिक दवाइयां ही चलाई जा रही थीं, जिनका फंगल में कोई खास रोल नहीं है। हालांकि उनके साथियों ने किसी तरह एंटी फंगल इंजेक्शन का इंतजाम कराया। इंजेक्शन का इंतजाम होने के बाद प्राचार्य प्रो. आरबी कमल ने निर्देश पर ईएनटी विभागाध्यक्ष डॉ. एसके कनौजिया ने सर्जरी कर साइनस एवं नाक से डेड टिश्यू निकाले हैं। अब नेत्र रोग विभाग में उनकी सर्जरी होनी है। इसके अलावा अन्य पांच मरीजों को फिलहाल दुआ का ही सहारा है।

  • -ब्लैक फंगस के इलाज में दवाइयों की कमी बड़ी बाधा बन रही है। मेडिकल कॉलेज में जांच की सुविधा शुरू करा दी है। इंजेक्शन शासन से अलाट हो गए हैं। एक संक्रमित की सर्जरी कर डेड टिश्यू निकाले गए हैं। फिलहाल एंटीबायोटिक इंजेक्शन व दवाइयां दी जा रही हैं। -प्रो. आरबी कमल, प्राचार्य जीएसवीएम

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