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Black Fungus Infection: कोरोना संक्रमण के बीच संभालें आंखों की रोशनी, खतरनाक है ब्लैक फंगस

Black Fungus Infection नेत्ररोग विभाग की प्रो. शालिनी मोहन ने बताया कि ब्लैक फंगस में आंखें बाहर आने लगती हैं औरआकार बड़ा दिखता है। आफ्थल्मोप्लेजिया की समस्या भी आ रही है। इसमें आंखों की नसें कमजोर होने से आंखों का दाएं-बाएं हिलना डुलना बंद हो जाता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 13 May 2021 09:24 AM (IST)Updated: Thu, 13 May 2021 09:35 AM (IST)
Black Fungus Infection: कोरोना संक्रमण के बीच संभालें आंखों की रोशनी, खतरनाक है ब्लैक फंगस
प्रतिरोधक क्षमता बेहद कम होने पर ब्लैक फंगस हमला करता है।

कानपुर, शशांक शेखर भारद्वाज। Black Fungus Infection स्टेरायड, एंटी बायोटिक दवाओं के कारण व अधिक समय तक इंटेंसिव केयर यूनिट (आइसीयू) व हाई डिपेंडेंसी यूनिट (एचडीयू) में रहने से म्यूकारमाइकोसिस (काली फफूंदी या ब्लैक फंगस) कोरोना संक्रमितों की आंखों पर हमला कर रहा है। यह समस्या कोरोना से ठीक होने के बाद भी आ रही है। कानपुर के हैलट अस्पताल के न्यूरो साइंस कोविड अस्पताल और मेटरनिटी विंग में दो मरीजों में से एक की आंखों का आकार बड़ा हो गया, जबकि दूसरे की आंखों का हिलना डुलना बंद हो गया। कुछ अन्य मरीज भी आंखों में जलन व दर्द की समस्या लेकर आ चुके हैं। चिकित्सक लोगों को हल्के लक्षण प्रकट होने पर ही तत्काल सचेत हो जाने और तळ्रंत इलाज कराने की सलाह दे रहे हैं। इसमें चूक आंखों की रोशनी तक खत्म कर सकती है।

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न्यूरो साइंस कोविड अस्पताल के नोडल अधिकारी प्रो. प्रेम सिंह ने बताया कि म्यूकारमाइकोसिस (ब्लैक फंसग) पोस्ट कोविड (कोरोना संक्रमण के बाद) दुष्प्रभाव छोड़ता है। शुरुआत में रोगी की नाक में काले निशान बनने लगते हैं। तालू के अंदर काले धब्बे पड़ जाते हैं। नाक, गले, फेफड़े, दिल में भी असर दिखता है। साथ ही आंख व दिमाग भी प्रभावित होते हैं।

शुरुआती लक्षण

  • आंखों में लाली आना
  • पलकों में सूजन
  • आंखों में तेज जलन व दर्द
  • आंखों में पानी आना

द्वितीयक लक्षण

  • बीमारी बढ़ने के साथ आंखों का घूमना कम होना
  • दिखने में धुंधलापन
  • चीजें दो-दो दिखाई देना
  • आंखों का बाहर निकलना

तृतीयक लक्षण

  • लगातार अनदेखी
  • पर आंखों की रोशनी जाना

केस एक

बढ़ गया था आंखों का आकार: कानपुर निवासी 49 वर्षीय मरीज पहले निजी अस्पताल के आइसीयू में भर्ती रहे। कोरोना पॉजिटिव आने पर उन्हें न्यूरो साइंस कोविड अस्पताल में भर्ती किया गया। डा.अरविंद की देखरेख में उनका इलाज शुरू हो गया। आक्सीजन लेवल काफी नीचे पहुंच गया था। एंटीबायोटिक दिए गए। कुछ दिन बाद उनमें प्रापटोसिस (आंखों का आकार बढ़ना) की समस्या नजर आई।

केस दो
बंद हो गया आंखों का मूवमेंट: कानपुर के ही नौबस्ता के 60 वर्षीय मरीज को सांस लेने में समस्या हुई। स्वजन ने उन्हें हैलट की मेटरनिटी कोविर्ड ंवग में भर्ती कराया। उनकी हालत में सुधार हो गया, लेकिन आंखों में दर्द होने लगा और उनका मूवमेंट बंद हो गया। जांच कराई गई तो ब्लैक फंगस के कारण आफ्थल्मोप्लेजिया की समस्या हो गई थी।

ये रखें सावधानी

  • मधुमेह रोगी ज्यादा सावधान रहें और शळ्गर लेवल को नियंत्रित रखें।
  • प्रतिरोधक क्षमता बेहद कम होने पर ब्लैक फंगस हमला करता है। प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के उपाय करते रहें।
  • संतुलित भोजन और पर्याप्त नींद को नजरअंदाज न करें।

नेत्ररोग विभाग की प्रो. शालिनी मोहन ने बताया कि ब्लैक फंगस में आंखें बाहर आने लगती हैं और आकार बड़ा दिखता है। आफ्थल्मोप्लेजिया की समस्या भी आ रही है। इसमें आंखों की नसें कमजोर होने से आंखों का दाएं-बाएं हिलना डुलना बंद हो जाता है। इसमें खास एंटी फंगल दवाएं दी जाती हैं। गंभीर स्थिति में सर्जरी भी करनी पड़ती है।


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