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कानपुर में अगले नगर निगम चुनाव की डगर महिला पार्षदों के लिए नहीं होगी आसान, भाजपा ने दी चेतावनी

Kanpur Nagar Niagam Chunav 2022 करीब साढ़े तीन वर्ष पहले नगर निगम चुनाव हुआ था। अब चुनाव में करीब डेढ़ वर्ष का समय रह गया है लेकिन स्थिति यह है कि ज्यादातर महिला पार्षदों के पति अब भी बैठकों में भाग लेते हैं।

By Shaswat GuptaEdited By: Published: Mon, 08 Mar 2021 03:32 PM (IST)Updated: Mon, 08 Mar 2021 03:32 PM (IST)
कानपुर में अगले नगर निगम चुनाव की डगर महिला पार्षदों के लिए नहीं होगी आसान, भाजपा ने दी चेतावनी
कानपुर नगर निगम कार्यालय से संबंधित सांकेतिक तस्वीर।

कानपुर, जेएनएन। Kanpur Nagar Niagam Chunav 2022 भारतीय जनता पार्टी अपनी महिला पार्षदों में नेतृत्व क्षमता विकसित तो करना चाहती है, लेकिन उनके पति उन्हें आगे नहीं आने दे रहे। इससे नाराज संगठन ने उन्हें साफ चेता दिया है कि अगर महिला पार्षद पतियों को पीछे कर खुद आगे नहीं आईं तो डेढ़ वर्ष में होने वाले नगर निगम चुनाव में उनका टिकट कट सकता है।

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समझें पूरा मामला 

करीब साढ़े तीन वर्ष पहले नगर निगम चुनाव हुआ था। अब चुनाव में करीब डेढ़ वर्ष का समय रह गया है लेकिन स्थिति यह है कि ज्यादातर महिला पार्षदों के पति अब भी बैठकों में भाग लेते हैं। वह चाहे सरकारी स्तर की हो या संगठन स्तर की। इस समय भाजपा की दो दर्जन महिला पार्षद हैं। इनमें से दो ऐसी भी हैं जो निर्दलीय हैं लेकिन भाजपा के साथ ही उनकी विचारधारा जुड़ी है, इसलिए पार्टी भी उन्हें अपने साथ ही मानती है। पंचायत चुनाव में एक ओर पार्टी संगठन में पदाधिकारियों को चुनाव में उतार कर उनमें नेतृत्व क्षमता भी बढ़ाना चाहते हैं, वहीं महिला पार्षदों में भी पार्टी नेतृत्व क्षमता विकसित होते देखना चाहती है। दो-तीन महिला पार्षदों को छोड़ दिया जाए तो कोई महिला पार्षद अपनी बात सदन या नगर निगम कार्यालय में रखने में संकोच करती हैं। सभी के पति दिनभर नगर निगम के चक्कर लगाते रहते हैं। सरकारी स्तर की बैठकों में भी पार्षद की तरह ही उनके पति भाग लेते हैं। कुछ ऐसा ही संगठन की बैठकों में भी होता है लेकिन दो दिन पहले प्रदेश उपाध्यक्ष विजय बहादुर पाठक ने पार्षदों की बुलाई गई बैठक में जिस तरह महिला पार्षदों के पतियों को बाहर निकाला उससे साफ है कि अब संगठन महिला पार्षदों के पतियों के साथ नहीं वरन् जिन्हें टिकट देकर चुनाव लड़ाया है, उन्हें बैठक में चाहती है। बैठक में पार्षदों के पतियों से भी साफ कह दिया कि अगर वे पीछे होकर अपनी पत्नियों को राजनीति में आगे नहीं लाएंगे तो बस डेढ़ वर्ष ही बचे हैं, उन्हें टिकट नहीं मिलेगा।


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