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भाजपा सांसद सत्यदेव पचौरी ने कहा, किसान आंदोलन से पैर जमा रहे खालिस्तान समर्थक

खालिस्तान समर्थक इसे विध्वंस की ओर ले जाना चाहते हैं। कनाड़ा में महात्मा गांधी की प्रतिमा पर काले झंडे लगाना दुर्भाग्यपूर्ण है। खालिस्तान समर्थकों के इरादे खतरनाक हैं। इस आंदोलन से वे दोबारा देश में पैर जमाना चाह रहे हैं। इसलिए जितनी जल्दी यह आंदोलन खत्म हो जाए

By Akash DwivediEdited By: Published: Mon, 14 Dec 2020 03:46 PM (IST)Updated: Mon, 14 Dec 2020 05:29 PM (IST)
भाजपा सांसद सत्यदेव पचौरी ने कहा, किसान आंदोलन से पैर जमा रहे खालिस्तान समर्थक
कुछ राष्ट्रविरोधी ताकतें भी इस आंदोलन में जुड़ रही

कानपुर, जेएनएन। देश में किसान आंदोलन के जरिए खालिस्तान समर्थक फिर पैर जमा रहे हैं और उनके मंसूबे खतरनाक व विध्वंसकारी हैं। यह बात सोमवार को भाजपा सांसद सत्यदेव पचौरी ने पत्रकार वार्ता में कही। उन्होंने कहा कि इन्हीं के जरिए इंदिरा गांधी मारी गई थीं, फिर भी कांग्रेस उनके साथ है। यह बात कांग्रेस को खुद समझ नहीं आ रही। अपने आवास पर आयोजित पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि कृषि बिल 2020 का विरोध कुछ राजनीतिक दल कर रहे हैं जिनकी अपनी जमीन भी नहीं बची है। इसके साथ ही कुछ राष्ट्रविरोधी ताकतें भी इस आंदोलन में जुड़ रही हैं। 

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खालिस्तान समर्थक इसे विध्वंस की ओर ले जाना चाहते हैं। कनाड़ा में महात्मा गांधी की प्रतिमा पर काले झंडे लगाना दुर्भाग्यपूर्ण है। खालिस्तान समर्थकों के इरादे खतरनाक हैं। इस आंदोलन से वे दोबारा देश में पैर जमाना चाह रहे हैं। इसलिए जितनी जल्दी यह आंदोलन खत्म हो जाए, उतना अच्छा है। उनके अनुसार राजनीतिक दलों को 2024 का अपना परिणाम अभी से दिख रहा है, इसलिए वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हर कदम का विरोध कर रहे हैं। उन्हेंं यह भी डर है कि जनसंख्या नियंत्रण पर बिल ना आ जाए। किसान की बात किसान को करनी चाहिए। सरकार खुद किसानों से पूछ रही है कि कौन सी धारा गलत लग रही है, वे बताएं तो उसमें संशोधन कर दिया जाएगा लेकिन वे तीनों बिल को वापस करने की बात कह रहे हैं। उन्होंने कहा कि व्यापारी अन्न का भंडारण करेगा तभी तो किसान को उसकी उपज का पूरा मूल्य मिलेगा। अकाली दल इसलिए विरोध कर रहा है क्योंकि पंजाब की मंडियों पर उसके लोगों का कब्जा है। किसान घर पर बैठे हैं और बिचौलिए आंदोलन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ना तो मंडी समिति खत्म होगी ना ही न्यूनतम समर्थन मूल्य। उन्होंने कहा कि किसान यह मांग करे कि मंडी रहें और मंडी शुल्क खत्म हो तो समझ में आता है।


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