पाठ्य पुस्तकों में शामिल हो सूफियों की जीवनी, जलसे में उठाई गई आवाज
बेबीज कंपाउंड बांसमंडी में हुए ग्यारहवीं शरीफ के जलसे में कहा गया कि सूफियों की जीवनी को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिये इससे बच्चों की जानकारी बढ़ेगी। यहां कहा गया कि गौस ए आजम हजरत शेख अब्दुल कादिर जीलानी का मर्तबा बहुत बुलंद है।
कानपुर, जेएनएन। गौस ए आजम हजरत शेख अब्दुल कादिर जीलानी का मर्तबा बहुत बुलंद है। गौस ए आजम को मानने वाले पूरी दुनिया में है। गौस ए आजम की शान का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनका कदम हर वली की गर्दन पर है।
गौस ए आजम को बड़े पीर साहब के नाम से भी जाना जाता है। यह बात तहारत मंच की ओर से बेबीज कंपाउंड बांसमंडी में हुए ग्यारहवीं शरीफ के जलसे में हाफिज वाहिद अली रजवी ने कही। उन्होंने कहा कि गौस ए आजम हजरत शेख अब्दुल कादिर जीलानी की मजार ईराक के बगदाद शहर में हैं। गौस ए आजम के वसीले से अल्लाह से दुआ मांगी जाए तो जल्द पूरी होती है। हाफिज फैसल जाफरी ने कहा कि गौस ए आजम ने इंसानियत, मोहब्बत का पैगाम दिया। उन्होंने भटके हुए लोगों को सही राह दिखाई। दुनिया भर में गौस ए आजम के लाखों मुरीद है। गौस ए आजम से ही कादरी सूफी सिलसिला शुरु हुआ है जो पूरी दुनिया में फैला हुआ है। उन्होंने कहा कि गौस ए आजम ने जो रास्ता बताया उस पर चलने की कोशिश करें। गुनाहों से बचे और नमाज की पाबंदी करें। डा. मुस्तफा तारिक ने कहा कि सच्चा बालक के नाम से पहले किताब में हजरत गौस ए आजम का पाठ भी था। इसमें बताया गया था कि बचपन में हजरत गौस ए आजम ने डाकुओं के सामने झूठ बोलना गवारा नहीं किया। उनकी इस सच्चाई से प्रभावित होकर डाकू भी सही रास्ते पर आ गए। डा. मुस्तफा तारिक ने मांग की कि पाठ्य पुस्तकों गौस ए आजम हजरत शेख अब्दुल कादिर जीलानी सहित अन्य सूफियों की जीवनी शामिल की जाए। जलसे के बाद मुल्क में खुशहाली व तरक्की की दुआ की गई। वकार तारिक, इरफान अंसारी, बहार अहमद, इब्राहीम खान , मोहम्मद जाबिर, जावेद, साहिल आदि रहे।