इस वर्ष हुए इन तीन मामलों ने गिरा दी कानपुर पुलिस की साख, हर किसी की जुबां पर रहा बिकरू कांड
19 जून से 2 जुलाई के बीच हुई घटनाओं ने गिरा दी साख। पिंटू सेंगर संजीत और बिकरू कांड देश भर में हुई बदनामी। पिंटू सेंगर और संजीत हत्याकांड के बाद बिकरू कांड ने न केवल पुलिस के इकबाल पर सवाल खड़ा कर दिया।
कानपुर, जेएनएन। आंकड़ों की नजर में वर्ष 2020 में कानपुर में अपराध घटे, लेकिन साल के 366 दिनों में पुलिस पर केवल 13 दिन भारी पड़े। पिंटू सेंगर और संजीत हत्याकांड के बाद बिकरू कांड ने न केवल पुलिस के इकबाल पर सवाल खड़ा कर दिया, बल्कि पूरे देश में पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर भी किरकिरी हुई। खबरों की इस कड़ी में हम आपको उन तीन मामलों की याद दिलाएंगे जिनकी वजह से कानपुर पुलिस को कई बार सवालों के चक्रव्यूह से होकर गुजरना पड़ा।
बसपा नेता की हत्या का मामला
आइपीएस दिनेश कुमार पी को 16 जून को कानपुर का एसएसपी बनाया गया। 18 जून को उन्होंने चार्ज संभाला और 20 जून को बसपा नेता पिंटू सेंगर की चकेरी थानाक्षेत्र में गोली मारकर हत्याकर दी गई। पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के नाम चांद पर प्लाट की रजिस्ट्री करने को लेकर पिंटू सेंगर का नाम काफी चर्चा में आया था। पिंटू सेंगर पर तमाम आपराधिक मुकदमे भी दर्ज थे। ऐसे में उनकी हत्या की गूंज पूरे प्रदेश में सुनाई पड़ी। हालांकि बाद में जब चकेरी पुलिस ने हत्याकांड के मुख्य आरोपित मनोज गुप्ता, वीरेंद्र पाल, सऊद अख्तर, महफूज अख्तर के नाम चार्जशीट से के नाम चार्जशीट से निकालने की कोशिश की तो यह मामला तूल पकड़ गया और पुलिस को काफी बदनामी का सामना करना पड़ा।
बर्रा में लैब टैक्नीशियन का अपहरण और फिर हत्या
लैब टैक्नीशियन संजीत यादव का 22 जून की रात उसके ही दोस्तों ने अपहरण कर लिया था। गुपचुप तरीके से पुलिस और संजीत के स्वजन के बीच उसे छुड़ाने के लिए वार्ता चलती रही। 13 जुलाई को संजीत के स्वजन ने फिरौती के लिए रुपयों से भरा बैग गुजैनी पुल से फेंका और इसके बाद भी उन्हेंं संजीत वापस नहीं मिला तो उन्होंने 14 जुलाई को पुलिस कार्यालय पर हंगामा किया, तब मामला सार्वजनिक हुआ। एक सप्ताह के भीतर घटना का राजफाश भी हो गया, लेकिन फिरौती की रकम दिलाने और कार्यप्रणाली को लेकर चकेरी पुलिस को शर्मसार होना पड़ा। मामले ने इतना तूल पकड़ा कि तत्कालीन एसएसपी दिनेश कुमार पी का तबादला हो गया, एसपी साउथ अपर्णा गुप्ता निलंबित हो गईं। हालांकि इस मामले को लेकर भी उत्तर प्रदेश की सियासत काफी गरमा गई थी।
साल का सबसे चर्चित बिकरू कांड
यूपी पुलिस के इतिहास की सबसे काली रात। बिठूर, चौबेपुर और शिवराजपुर तीन थानों की फोर्स चौबेपुर के गांव बिकरू में गैंगस्टर विकास दुबे को अपहरण और हत्या के प्रयास में दर्ज एक मुदकमे में गिरफ्तार करने पहुंची थी। गांव में घुसते ही पुलिस टीम पर विकास के गुर्गों ने हमला कर दिया, जिसमें सीओ समेत आठ पुलिस वाले मारे गए। शहीद होने वालों में तत्कालीन सीओ बिल्हौर देवेंद्र मिश्रा, एसओ शिवराजपुर महेश यादव, चौकी प्रभारी मंधना अनूप कुमार, सब इंस्पेक्टर नेबू लाल के अलावा सिपाही जितेंद्र पाल, सुल्तान सिंह, बबलू कुमार, राहुल शामिल हैं। जवाबी कार्रवाई में अगले कुछ दिनों के भीतर ही पुलिस ने भी विकास दुबे सिहत छह आरोपित मार गिराए। पूरे देश में यह घटना खूब चॢचत हुई। पूर्व एसएसपी अनंत देव सिहत तमाम पुलिस कॢमयों व प्रशासनिक अधिकारियों के अपराधियों के संबंध सामने आने पर पुलिस की शर्मशार होना पड़ा। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का न्यायिक आयोग जांच कर रहा है। एसआइजी की जांच में अनंत देव को निलंबित किया जा चुका है। उनके खिलाफ विजिलेंस जांच भी चल रही है।
अपराध तुलनात्मक
अपराध | 2018 | 2019 | 2020 |
हत्या | 85 | 69 | 91 |
गैरइरादन हत्या | 33 | 29 | 27 |
दहेज हत्या | 65 | 53 | 49 |
हत्या का प्रयास | 107 | 99 | 97 |
दुष्कर्म | 82 | 50 | 60 |
अपहरण | 22 | 15 | 09 |
बलवा | 91 | 65 | 36 |
डकैती | 0 | 2 | 0 |
लूट | 64 | 23 | 19 |
चोरी | 1596 | 1326 | 843 |
कुल दर्ज मुकदमे | 9548 | 9444 | 7518 |