कानपुर में पकड़े गए 'राजमहल' के चोर, 25 लाख रुपये के मोबाइल बरामद, पूर्वी राज्यों में बेचते थे सेलफोन
झारखंड का है गैंग तीन किशोर और दो युवक गिरफ्तार झाडिय़ों में छिपाए थे महंगे फोन। नेपाल बांग्लादेश और पूर्वी राज्यों में बेचते थे दो फरार साथियों की तलाश तेज। युवकों के नाम गुड्डू कुमार महतो और हीरालाल रविदास हैं।
कानपुर, जेएनएन। शहर में शिवाला और सीसामऊ जैसे भीड़भाड़ वाले बाजारों में लोगों के मोबाइल फोन चोरी करने वाले झारखंड के साहबगंज के राजमहल क्षेत्र निवासी चोर आखिरकार पुलिस के हत्थे चढ़ गए। सोमवार शाम तीन किशोरों और दो युवकों को गिरफ्तार कर गैंग का राजफाश किया गया। चोरों के पास से 128 महंगे मोबाइल फोन बरामद किए गए हैं, जो उन्होंने झाडिय़ों में छिपा रखे थे। इनकी कीमत 25 लाख रुपये आंकी गई है। चोरी के फोन नेपाल, बांग्लादेश और पूर्वी राज्यों में बेचे जाते थे।
किशोर की निशानदेही धरे गए अन्य साथी
पिछले एक माह में शिवाला बाजार में पांच लोगों के फोन चोरी होने पर कोतवाली इंस्पेक्टर संजीवकांत मिश्र ने सादे कपड़ों में पुलिस टीम लगाई थी। सोमवार सुबह टीम ने शिवाला में 13 साल के किशोर को मोबाइल फोन चोरी करते रंगेहाथ पकड़ा। उसकी निशानदेही पर व्यायामशाला तिराहे के पास दो युवकों और दो अन्य किशोरों को गिरफ्तार किया गया। उन्होंने झाडिय़ों के बीच छिपाकर रखे गए 128 मोबाइल फोन बरामद कराए। ज्यादातर फोन 15 हजार रुपये से ज्यादा कीमत के हैं। पांचों आरोपित झारखंड के साहबगंज जिले के राजमहल क्षेत्र के विभिन्न दरला, बमनगामा आदि गांवों के रहने वाले हैं। युवकों के नाम गुड्डू कुमार महतो और हीरालाल रविदास हैं। थाना प्रभारी के मुताबिक, गिरोह के दो अन्य सदस्यों की तलाश की जा रही है।
साइबर हैकरों को भी बेचते थे फोन
आरोपितों ने बताया कि एक दिन में 10 से 12 फोन चोरी करते थे और महीने में एक बार झारखंड, पश्चिम बंगाल व नेपाल बाॅर्डर पर जाकर फोन बेचते थे। 100 से ज्यादा फोन झारखंड के जामताड़ा व धनबाद में साइबर हैकरों को बेचे थे। महज तीन से पांच हजार रुपये में फोन बेचते थे। नेपाल-बांग्लादेश में फोन काफी महंगे बिकते हैं। इसलिए वहां से काफी डिमांड है।
एक दर्जन फोन के मालिकों का भी पता लगा
पुलिस ने इंटरनेशनल मोबाइल इक्विपमेंट आइडेंटिटी (आइएमईआइ) नंबर के जरिए पुराने फोन नंबरों के करीब एक दर्जन मालिकों का पता लगाकर उनसे बात की। शाम को कई लोग थाने भी पहुंचे। उन्हें कोर्ट के जरिए फोन रिलीज कराने की प्रक्रिया बताई गई।
बच्चों व किशोरों की मदद से चोरी कराते थे फोन
गिरोह के सदस्य कानपुर, लखनऊ, आगरा आदि जिलों में किराये का कमरा लेकर रहते हैं। भीड़भाड़ वाले स्थानों में बच्चों को भेजकर महंगे फोन चोरी करवाते थे। इसके बाद ये किशोर मुख्य आरोपितों को फोन देकर भीड़ में गुम हो जाते थे। कभी बच्चे पकड़े जाते तो गिरोह के युवक उन्हें थप्पड़ मारकर व डांटकर बचा लेते थे।